भारतीय रेलवे ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है. भारतीय रेलवे ने पश्चिमी 'डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' (Dedicated Freight Corridor, DFC) पर सेना के युद्धक सामानों से लैस ट्रेन को तेज रफ्तार में दौड़कर सफल परीक्षण किया है. अब देश के एक कोने से दूसरे कोने तक तेज रफ्तार के साथ बड़ी मात्रा में सेना के भारी-भरकम टैंक और इससे जुड़े सामान पहुंचाए जा सकते हैं. साथ ही युद्ध की स्थिति में भी इससे काफी मदद मिलेगी. इस परीक्षण के के दौरान वाहनों और उपकरण से भरी सैन्य ट्रेनों को न्यू रेवाड़ी से न्यू फुलेरा तक चलाकर सफल परीक्षण किया गया. इससे सशस्त्र बलों के लिए कम समय में जरूरी और भारी भरकम उपकरणों को जुटाने की क्षमता बढ़ाने के प्रयास में सफलता मिली है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस परीक्षण के दौरान 2 परीक्षण किए गए. पहला परीक्षण रेलवे के डिब्बों पर किया गया जबकि दूसरा परीक्षण सैन्य ट्रेन के डिब्बों पर किया गया और दोनों परीक्षणों में भारी उपकरण लादे गए थे.
'डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ऑफ इंडिया' (DFCCIL) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने 430 किलोमीटर लंबे मार्ग पर दो परीक्षण किए. इन परीक्षणों के अहम पहलू यह हैं कि वे सैन्य आवाजाही के लिए नए रास्ते खोलेंगे. इस सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद, सैन्य उपकरण सिर्फ 24 घंटे में कोलकाता से लुधियाना भेजे जा सकते हैं और ट्रेनों की गति 65 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 75 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी.'
अधिकारियों ने यह भी बताया कि आम तौर पर ऐसी ट्रेनें हर 150 किलोमीटर पर उस पर सवार कर्मचारियों के लिए रूकती हैं, क्योंकि रास्ता लंबा होता है, लेकिन डीएफसी पर कोई ट्रेन इस तरह नहीं रुकेगी.
Successful trial run of a military train with vehicles & equipment was conducted from New Rewari to New Phulera, validating efficacy of Dedicated Freight Corridor (DFC).
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 15, 2021
DFCs will significantly enhance the mobilisation capability of Armed Forces of 🇮🇳
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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से देश भर में माल ढुलाई की आवाजाही तेज होगी. बयान के मुताबिक, 'भारतीय सेना द्वारा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) और भारतीय रेलवे के साथ करीबी और समकालिक समन्वय से सशस्त्र बलों को जुटाने की क्षमता में काफी वृद्धि होगी.'