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4 साल में 1 सवाल, 18% उपस्थिति... सनी देओल का राजनीति से मोहभंग, संसद में ऐसा रहा ट्रैक रिकॉर्ड

सनी देओल ने आजतक से बातचीत में कहा कि वे 2024 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. सनी देओल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें पंंजाब के गुरदासपुर से चुनाव मैदान में उतारा था. यहां से जीत हासिल कर वे लोकसभा पहुंचे थे.

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सनी देओल ने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने से किया इनकार (फोटो- पीटीआई)
सनी देओल ने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने से किया इनकार (फोटो- पीटीआई)

सनी देओल की फिल्म गदर-2 ने धमाल मचा रखा है. फिल्म कमाई के मामले में तमाम रिकॉर्ड तोड़ रही है. बीजेपी सांसद सनी देओल भले ही फिल्मी दुनिया में हिट साबित हुए हों  लेकिन संसद में वे कुछ खास नहीं कर पाए. 2019 में पंजाब के गुरदासपुर से जीतकर संसद पहुंचे सनी का राजनीति से मोहभंग हो गया है. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि वे अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. अपने डायलॉग के दम पर अलग छवि बनाने वाले सनी देओल ने 5 साल के राजनीतिक करियर में संसद में सिर्फ 1 सवाल पूछा है. इतना ही नहीं संसद में उनकी उपस्थिति भी सिर्फ 18% रही है.

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2019 में बीजेपी में शामिल हुए थे सनी देओल

सनी देओल अभी पंजाब के गुरदारसपुर से सांसद हैं. वे 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें गुरदासपुर से लोकसभा टिकट दिया. सनी देओल ने यहां से कांग्रेस के मौजूदा सांसद सुनील कुमार जाखड़ को मात दी. 

पंजाब की गुरदासपुर ऐसी सीट है, जहां बीजेपी फिल्मी चेहरों पर दांव लगाती रही है. काफी हद तक बीजेपी की ये रणनीति सफल होती भी दिखी. सनी देओल ने पहले बीजेपी ने विनोद खन्ना को इस सीट से टिकट दिया. विनोद खन्ना 1998, 1999, 2004 और 2014 में इस सीट से जीत हासिल की. वे यहां से सिर्फ 2009 लोकसभा चुनाव में हारे. 

सनी देओल का संसद में ट्रैक रिकॉर्ड

संसद में सांसदों की उपस्थिति का राष्ट्रीय औसत 79% है. यानी हर सांसद की उपस्थिति 79% रही है. जबकि पंजाब का औसत 70% है. वहीं सनी देओल की संसद में उपस्थिति सिर्फ 18% रही. यह राष्ट्रीय और राज्य के औसत की तुलना में काफी कम है. इतना ही नहीं संसद में उन्होंने अब तक किसी बहस में कोई हिस्सा नहीं लिया. जबकि सांसदों के बहस में हिस्सा लेने का राष्ट्रीय औसत 42.7% है. सनी देओल ने बतौर सांसद कोई भी निजी सदस्य विधेयक भी पेश नहीं किया. 

 

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राजनीति से हुआ मोहभंग

सनी देओल ने आजतक से बातचीत में कहा कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. संसद में कम उपस्थिति को लेकर सनी ने कहा, जब मैं संसद जाता हूं तो देखता हूं कि यहां देश चलाने वाले लोग बैठे हैं, सभी पार्टियों के नेता बैठे हैं. लेकिन यहां कैसा व्यवहार करते हैं, जबकि हम दूसरे लोगों से कहते हैं कि ऐसा व्यहार मत करो. उन्होंने कहा कि जब में ये देखता हूं तो लगता है कि मैं ऐसा नहीं हूं, इससे बेहतर तो ये है कि मैं कहीं और ही चला जाऊं. साथ ही कहा कि मैं अब कोई चुनाव लड़ना नहीं चाहता.

क्या गुरदासपुर में नाराजगी मोहभंग की वजह?

सनी देओल ने चुनाव प्रचार के दौरान लोकसभा क्षेत्र की जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे. लेकिन वादे तो पूरा करना दूर, वे जीत के बाद संसदीय क्षेत्र में कम ही नजर आए. हाल ही में सनी देओल गदर-2 के प्रमोशन के दौरान वाघा-अटारी बॉर्डर पर तो गए, लेकिन गुरदासपुर नहीं पहुंचे. जबकि गुरदासपुर वाघा अटारी बॉर्डर से काफी करीब है.  सनी देओल के क्षेत्र से लगातार गायब रहने और लोकसभा से भी नदारद रहने को अब विरोधी भी मुद्दा बनाने लगे हैं. पिछले दिनों लोगों ने उनके खिलाफ गुरुदासपुर में प्रदर्शन भी किया था. इतना ही नहीं विरोधी क्षेत्र में सनी देओल के गुमशुदगी के भी पोस्टर लगाते रहे हैं. 

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पिछले दिनों स्थानीय अमरजोत सिंह ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिख नाराजगी जताई थी. यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर सनी देओल की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी.  उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि सनी देओल करीब चार साल से अपने लोकसभा क्षेत्र से अनुपस्थित हैं. गुरदासपुर की जनता ने उन्हें बड़ी उम्मीदों के साथ चुना था. माना जा रहा है कि गुरदासपुर में लोगोंं की नाराजगी भी सनी देओल के राजनीति से मोहभंग की वजह हो सकती है.

 

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