बफेलो ट्रेडर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पशु क्रूरता अधिनियम के 2017 में बने एक नियम को चुनौती दी है, इस नियम द्वारा प्रशासन को पशुओं से भरी गाड़ी जब्त करने और पशुओं को गौशाला भेजने का अधिकार दिया गया था. इसी नियम को पशु व्यापारियों के संगठन द्वारा चुनौती दी गई है. सोमवार के दिन इस मामले में सुनवाई हुई, लेकिन फ़िलहाल इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी गई है. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दाखिल कर दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ''आपका कानून पक्का विश्वास होने से पहले ही जानवरों को ले जाने की इजाज़त देता है. हम अगले हफ्ते आपके जवाबी हलफनामे पर सुनवाई करेंगे.'' इस बीच एसोसिएशन भी सरकार के हलफनामे का प्रति उत्तर भी दाखिल करेगा.
सीजेआई ने केंद्र से कहा 'आपके नियम मुख्य 'क़ानून' से मतभेद रखते हैं, ये कानून लोगों की जीविका के लिए बनाए गए हैं. कानून साफ-साफ कहता है कि किसी भी व्यक्ति के पशुओं को तब तक जब्त नहीं किया जा सकता है जबतक कि वह दोषी सिद्ध नहीं हो जाता.'
इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ''अगर किसी पशु के साथ अत्याचार किया जाता है तो उसे जब्त कर लिया जाता है, अगर आरोपी दोषमुक्त पाया जाता है तो जैसे बाकी जब्त चीजों को वापस कर दिया जाता है वैसे ही पशुओं को भी उसके मालिक को वापस कर दिया जाता है.''
इसपर सीजेआई ने कहा, ''पशुओं की बिक्री करना पशुओं के लिए हानिकारक नहीं है. किसी पशु को बेचने का अर्थ ये नहीं है कि पशु को हानि पहुंचाई जा रही है, बल्कि इससे उसके मालिक को आजीविका मिलती है. अगर किसी पशु मालिक से उसके पशु को जब्त कर लिया जाए और उसे किसी और जगह ले जाकर रखा जाए तो उसे उचित खाना-पीना नहीं मिलेगा. इसके कारण हम चिंतित हैं. हम यहां इस समस्या के आदर्श समाधान की कोशिश कर रहे हैं.