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महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, अयोग्यता की याचिका पर फैसले में देरी पर जताई नाराजगी

अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने में विधानसभा स्पीकर की देरी पर CJI ने नाराजगी जताई. सीजेआई ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी. पीठ ने कहा कि अगर वह अध्यक्ष की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाये.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि स्पीकर शीर्ष अदालत के "आदेशों को विफल नहीं कर सकते". मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "किसी को स्पीकर को सलाह देनी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते." और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में अदालत को अवगत कराने को कहा.

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अगले विधानसभा चुनाव से पहले लें याचिकाओं पर फैसला
नाराज दिख रहे सीजेआई ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी. पीठ ने कहा कि अगर वह अध्यक्ष की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाये. पीठ ने कहा, ''जब भारत के संविधान के विपरीत कोई फैसला आता है तो इस अदालत की आज्ञा चलनी चाहिए.'' पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका पर सोमवार या मंगलवार को सुनवाई कर सकती है.

शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था.

शुक्रवार को हुई ठाकरे और शरद गुट की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई 
बता दें कि, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे गुट और शरद पवार गुट की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और महाधिवक्ता तुषार मेहता की दलीलें सुनीं. कोर्ट ने कहा, "14 जुलाई को हमने नोटिस निकाला. विधायकों की योग्यता पर फैसला लेने का आदेश सितंबर में जारी किया गया था, लेकिन स्पीकर ने कुछ नहीं किया. विधानसभा अध्यक्ष ने जून के बाद से कोई कार्रवाई ही नहीं की है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर चुनाव से पहले निर्णय नहीं लिया गया तो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष कार्यवाही निरर्थक होगी.

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बता दें कि, महाराष्ट्र विधान सभा में स्पीकर की ओर से विधायकों की अयोग्यता के मामले को जान बूझ कर लटकाए रखने के मामले में एनसीपी एमएलए जयंत पाटिल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एनसीपी के विधायक पाटिल ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग में चल रहे मामले का भी जिक्र किया था. 9 जुलाई को दी गई अर्जी पर नहीं हुई कार्रवाई उन्होंने कहा था कि बागी विधायकों ने आयोग में अर्जी लगाई है जिस पर नोटिस जारी हुआ था. 

उधर विधान सभा में स्पीकर ने अनुशासन हीनता के आरोपी विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए दाखिल शरद पवार गुट की ओर से नौ जुलाई को दी गई अर्जी पर कोई भी कार्यवाही पूरी नहीं की है. 

जयंत पाटिल ने अपनी अर्जी में लिखा है कि दो महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अब तक स्पीकर ने संबंधित विधायकों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब भी नहीं किया है. अयोग्यता की अर्जी दो जुलाई को दो गई जबकि रिमाइंडर और रिप्रेजेंटेशन पांच सितंबर और सात सितंबर को दिया गया था. पाटिल ने कहा कि उन्होंने स्पीकर से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करके भी इस मामले पर शीघ्र निर्णय करने का आग्रह किया था.

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