कृषि कानून पर जारी विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जिसको लेकर अब सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी व्यक्त की है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कमेटी के सभी सदस्य अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं, ऐसे में उनपर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान संगठनों की ओर से वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण ने जानकारी दी कि किसान संगठनों ने तय किया है कि वो कमेटी के सामने नहीं जाएंगे, क्योंकि पूर्व में कमेटी ने कृषि कानूनों के पक्ष में अपनी राय रखी है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी एक चीज पर राय रखता है, तो उससे क्या? जजों की राय भी सुनवाई के दौरान बदलती है और फैसला अलग हो सकता है. कमेटी के पास कोई अधिकार नहीं है, अगर कोई कमेटी के सामने पेश नहीं होना चाहता है तो वो बाध्य नहीं करेंगे.
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खफा हुए चीफ जस्टिस
कमेटी को लेकर उठ रहे विवाद पर चीफ जस्टिस की ओर से सख्त टिप्पणी की गई. अदालत ने कहा कि कमेटी में जो लोग शामिल हैं, वो अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं. जो उनकी आलोचना कर रहे हैं, उनके पास वो क्षमता नहीं है. क्या आप उनपर आरोप लगा रहे हैं.
चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या कोई वकील अपनी राय जानकारी मिलने के बाद नहीं बदलता है. जबतक कोई ठोस विषय सामने नहीं रखा जाता है, तबतक ये बर्दाश्त नहीं होगा. कमेटी को अभी किसी तरह की कोई शक्ति नहीं मिली है, बल्कि राय के लिए रखा गया है.
हालांकि, अदालत ने अभी इस याचिका पर भी नोटिस जारी कर दिया है और कहा है कि अटॉर्नी जनरल को इसपर जवाब देना चाहिए.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानून के मसले पर जारी विवाद को निपटाने के लिए चार सदस्यों की कमेटी बनाई गई थी. कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने विवाद के बाद खुद को अलग कर लिया था. हालांकि, बाकी तीन सदस्यों ने बीते दिन पहली बैठक की जिसमें तय हुआ कि 21 जनवरी को किसान संगठनों से कमेटी पहली मुलाकात करेगी.