देशभर के कई इलाकों से आए दिन आवारा कुत्तों से जुड़े मामले आते रहते हैं. ऐसे में यह मामला आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वहां आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने के मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कुत्ता काटने के पिछले सात साल के आंकड़े राष्ट्रीय पशु कल्याण बोर्ड से तलब किए हैं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई अगले साल 2023 के फरवरी में करेगा.
पशु कल्याण बोर्ड दाखिल करेगा हलफनामा
पशु कल्याण बोर्ड हलफनामे के जरिए आंकड़े सहित रिपोर्ट दाखिल करेगा. बोर्ड कोर्ट को यह भी बताएगा कि पशुओं पर क्रूरता रोकने, निषेध कानून 1960 की रोशनी में कोर्ट की ओर से और गाइडलाइन देने की क्या जरूरत है?
केरल के मामले को SC ने बताया जायज
केरल के मामले के अलावा बॉम्बे में एक सोसायटी में रहने वाले एक आदमी ने पालतू कुत्ते के हमले को आधार बनाकर इस मामले में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से मामले को लेकर कुछ वीडियो मांगे गए और जजों ने वो वीडियो देखे. कोर्ट ने कहा कि हमने वीडियो देखे और आपकी चिंता जायज है.
बॉम्बे वाले मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कही ये बात
लेकिन कोर्ट ने बॉम्बे वाले मामले में याचिकाकर्ता से कहा कि आप हाईकोर्ट जाने के बजाय सीधे यहां क्यों चले आए? सुनवाई के दौरान कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम हर एक व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई नहीं कर सकते. आप बॉम्बे हाईकोर्ट जाएं. वहां के आदेश से आप अगर संतुष्ट न हों तो आप यहां आइएगा.
केरल को बताया 'Dogs own Country'
बता दें कि इस मामले में पिछले महीने सितंबर में दाखिल याचिका के जरिए याचिकाकर्ता ने कहा कि केरल Gods own Country से Dogs own Country बन गया है. हाल ही में 12 साल की बच्ची की मौत कुत्ते के काटने से हो गई. जबकि कुत्ते को एंटी रेबीज वैक्सीन लगी हुई थी.
5 साल में 10 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा
गौरतलब है कि केरल को Gods own Country यानी (भगवान का अपना देश) कहा जाता है. दरअसल, पौराणिक कथाओं के मुताबिक, विष्णु के अवतार भगवान परशुराम ने अपनी कुल्हाड़ी से केरल बनाया. उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी को पानी में फेंक दिया. इसके बाद पानी में भूमि की जगह बनने से यह आज केरल के रूप में जाना जाता है. याचिकाकर्ता के वकील वीके बीजू ने कोर्ट से इस मामले में चीफ जस्टिस के सामने जल्द सुनवाई की मांग रखी थी. वकील ने कहा कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में कुत्तों के काटने से जुड़ीं शिकायतों से निपटने और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. वकील वीके बीजू ने कोर्ट में बताया कि पिछले 5 साल में 10 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा है.
गरीब लोगों को हो रही ज्यादा दिक्कतें
उन्होंने कोर्ट में कहा कि मजदूर, स्कूल जाते बच्चे, महिलाओं पर कुत्ते हमला कर रहे हैं. यह गंभीर मुद्दा है. खासकर गरीब तबके के लोगों को प्रभावित कर रहा है. 2016 में, न्यायमूर्ति सिरी जगन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी, इसमें कहा गया था कि आवारा कुत्तों की आबादी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए 'बहुत गंभीर खतरा' बनी रहेगी, जब तक कि इसे प्रबंधनीय स्तर तक नहीं लाया जाता.