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'माननीयों' के खिलाफ लगातार बढ़ रहे हैं क्रिमिनल केस, महाराष्ट्र टॉप पर, UP-बिहार से नहीं मिला डाटा

सुप्रीम कोर्ट में सबमिट किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 12 नवंबर 2022 को देश के 16 उच्च न्यायालयों में विधायकों और सांसदों के खिलाफ 3069 केस पेंडिंग चल रहे हैं. ये स्थिति तब है जब अक्टूबर 2018 के बाद 2775 मामले निपटाए गए. 

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जन प्रतिनिधियों के खिलाफ बढ़ रहे हैं केस
जन प्रतिनिधियों के खिलाफ बढ़ रहे हैं केस

देश भर में मौजूदा और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमों से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. ये डाटा बताते हैं कि राजनीति को अपराध मुक्त करने की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसे विधायकों/सांसदों की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं.  

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12 नवंबर 2022 को इन 16 उच्च न्यायालयों से मिले आंकड़ों के अनुसार विधायकों और सांसदों के खिलाफ 3069 केस पेंडिंग चल रहे हैं. बता दें कि देश भर में इस वक्त 25 हाईकोर्ट हैं, इनमें से 16 हाई कोर्ट से मिले आंकड़ों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया है. जबकि 9 हाईकोर्ट से डेटा ही नहीं मिला है. 

2018 में तब के वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ  430 ऐसे गंभीर आपराधिक मामले चल रहे थे जिनमें दोषी होने पर उन्हें उम्र कैद या मौत की सजा हो सकती थी. 

खास बात यह है कि इन 16 हाई कोर्ट में उत्तर प्रदेश और पटना हाई कोर्ट का डाटा शामिल नहीं है. जहां हाल में कई सांसदों/ विधायकों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन इन हाई कोर्ट ने ताजा डाटा नहीं दिया है.

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ये खुलासा सीनियर वकील और न्यायमित्र (Amicus curaie) विजय हंसारिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट के जरिए हुआ है.  इस रिपोर्ट में उन्होंने साल 2021 और 2022 में उच्च न्यायालयों द्वारा दाखिल किए रिपोर्ट के आधार पर कई निष्कर्ष निकाला है. 

महाराष्ट्र-ओडिशा में 'माननीयों' पर चल रहे मामलों में देरी

लंबित आपराधिक मामलों में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है. वहां 482 सांसद/ विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.  लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट को देश के बाकी बचे 9 उच्च न्यायालयों से आंकड़े मिल जाएं तो तस्वीर बदल सकती है. इन 9  उच्च न्यायालयों उत्तर प्रदेश और बिहार के हाई कोर्ट भी शामिल है. इन दोनों ही हाई कोर्ट ने पिछले कुछ सालों से अपने यहां के सांसदों विधायकों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का आंकड़ा नहीं दिया है. 

इन आंकड़ों पर अगर विस्तार से नजर डाली जाए तो पता चलता है कि ओडिशा में सांसद/ विधायकों के खिलाफ 454 मामले लंबित हैं. इनमें से 323 ऐसे मामले हैं जो 5 साल से चल रहे हैं. ओडिशा में ये स्थिति तब है जब सांसद/विधायकों से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए 14 स्पेशल कोर्ट बनाए गए हैं. 

2018 में 430 गंभीर मामले

सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए इस रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2018 में तब के मौजूदा और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ 430 ऐसे मामले चल रहे थे, जिनमें दोषी पाए जाने पर उन्हें आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती थी. इनमें 180 केस मौजूदा सांसद और विधायकों के खिलाफ थे, जबकि 250 मामले पूर्व सांसद और विधायकों के खिलाफ थे. 

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बढ़ ही रहे हैं लंबित केस

 दिसबंर 2018 में 4122 मामले सांसदों और विधायकों के खिलाफ पेंडिंग चल रहे थे. इनमें से 1675 सांसद (पूर्व और वर्तमान) और 2324 विधायक (पूर्व और वर्तमान) हैं. 

दिसंबर 2021 में कुल लंबित मामले 4984 थे. इसका अर्थ है कि माननीयों के खिलाफ मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसी स्थिति तब है जब अक्टूबर 2018 के बाद 2775 मामले निपटाए गए. 

दिसंबर 2021 में पांच साल से लंबित मामलों की कुल संख्या 1899 थी. नवंबर 2022 का आंकड़ा बताता है कि 5 साल से अधिक पेंडिंग मामलों की संखाय 962 थी, लेकिन इसमें देश के 9 उच्च न्यायालयों का आकड़ा नहीं शामिल था. 

12 नवंबर 2022 को इन 16 उच्च न्यायालयों से मिले आंकड़ों के अनुसार विधायकों और सांसदों के खिलाफ 3069 केस पेंडिंग चल रहे हैं. यानी कि यूपी बिहार समेत देश के अन्य 9 हाईकोर्ट का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है. 

न्याय मित्र विजय हंसारिया ने उच्चतम न्यायालय से अपील कर यह निर्देश जारी करने की मांग की है कि अभियोजन और बचाव पक्ष मामले की सुनवाई में सहयोग करेंगे और इन मामलों में कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा. 

 

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