देश के सभी हाईकोर्ट में ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल की मांग के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा की हमारा विचार है देश के सभी हाई कॉर्ट्स 3 महीने के भीतर ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित करे.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसे हमने शुरू कर दिया है. सभी हाई कोर्ट अपने आरटीआई पोर्टल क्यों नहीं स्थापित करते?
CJI ने टिप्पणी करते हुए कहा आरटीआई अधिनियम, 2005 के लागू होने के 17 साल बाद भी ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल का नहीं होना उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत नागरिकों को लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आवेदन करने का अधिकार है. आरटीआई आवेदक के पास इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आवेदन भेजने का वैधानिक अधिकार है और ऑनलाइन सुविधाएं आरटीआई अधिनियम के उद्देश्यों को काफी हद तक आसान कर देंगी.
आज मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा की इस मामले में 17 राज्यों ने अपना जवाब दाखिल किया है. कुछ राज्यों को बुनियादी सुविधाओं का इंतजार है वही कुछ राज्य इसकी प्रक्रिया में हैं.
कार्यवाही के माध्यम से बताया गया कि दिल्ली, उड़ीसा और मध्य प्रदेश के हईकोर्ट ने ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल स्थापित किए हैं. हालांकि किसी भी हाईकोर्ट ने निचली न्यायपालिका के लिए ऑनलाइन पोर्टल स्थापित नहीं किए थे.
पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट सक्षम प्राधिकारी होंगे और उन्होंने याचिकाकर्ताओं की उस दलील को ध्यान में रखा जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यह सुनिश्चित करेंगे कि पोर्टल तैयार किए जाए.