सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी आनंद तेलतुंबडे को बड़ी राहत दी है. अदालत ने तेलतुंबडे को मिली जमानत के खिलाफ एनआईए की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. अदालत ने कहा है कि तेलतुंबडे की जमानत बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है.
इसके साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने तेलतुंबडे के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को झटका देते हुए कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणियों का ट्रायल पर कोई असर नहीं होगा.
आनंद तेलतुंबडे का बचाव करते हुए उनके वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी ईमेल उनके पास से बरामद नहीं हुए हैं. सिर्फ दो ईमेल हैं, जो फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के पास हैं.
सिब्बल ने कहा कि जहां भी दलितों के मामले हैं, वह वहां मौजूद रहते हैं क्योंकि वह शिक्षाविद हैं न कि आतंकवादी. उन्होंने पेरिस यात्रा भी शैक्षिक कार्यक्रम के सिलसिले में ही की थी. आयोजकों ने भी यही कहा था. मुझे मालूम नहीं कि मेरे भाई मिलिंद टी ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने 164 के बयान में क्या कहा? एजेंसी सिर्फ मिलिंद के बयान को ही सबूत बना रही है. उसी से मुझे लिंक किया जा रहा है. एजेंसी के पास एक ही चिट्ठी है जिसमें मुझे ' माई डियर कॉमरेड ' संबोधित किया गया है. क्या इतने भर से में आरोपी हो गया?
सिब्बल ने तेलतुंबड़े की लिखी किताबें, दुनियाभर की यूनिवर्सिटी में किए गए काम का जिक्र करते हुए कहा कि 73 साल के आनंद पिछले दो साल से ज्यादा समय से जेल में हैं. भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा का समय वो वहां थे भी नहीं.
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे को जमानत दे दी थी. हालांकि NIA के वकील संदेश पाटिल की अपील पर कोर्ट ने आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी. एजेंसी ने यह समय इसलिए मांगा ताकि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सके.
प्रोफेसर तेलतुंबडे के खिलाफ माओवादियों से संबंध के आरोप थे. उनके भाई मिलिंद तेलतुंबड़े, जो कई साल पहले घर छोड़कर चले गए थे वह एक माओवादी नेता थे और पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे.
तुषार दामुगड़े ने दर्ज कराया था केस
आनंद तेलतुंबडे को पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में 2018 में दर्ज मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था. इस केस को तुषार दामुगड़े ने दर्ज कराया था. दामुगड़े के अनुसार, 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवार वाडा में एल्गार परिषद नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. उन्होंने दावा किया कि जो भाषण दिए गए वे भी भड़काऊ थे, जबकि आयोजन स्थल पर बिक्री के लिए आपत्तिजनक और भड़काऊ किताबें रखी हुई थीं, इनमें प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) पर भी एक किताब थी. इसकी वजह से ही 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी.
सुधा, गौतम, तेलतुंबडे समेत कई गिरफ्तारियां
इस मामले में पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे, सुधा भारद्वाज समेत अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया था. बाद में इनका संबंध माओवादियों से होने के आरोप लगाया गया था. पुलिस की दलील थी कि 31 दिसंबर को यल्गार परिषद ने भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद हालात बिगड़ गए थे.