ताजमहल के वास्तविक इतिहास का पता लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सोमवार को याचिका खारिज किए जाने की बात सुनकर याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस लेने की इच्छा जताई. जिसकी इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने दे दी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग से बात करिए. आप इसके लिए यहां क्यों आए हैं? जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से संपर्क करने लिए कहा.
इस पर याचिकाकर्ता के वकील बरुण सिन्हा ने कहा कि हमने पुरातत्व विभाग से भी संपर्क किया है. ताजमहल के इतिहास को लेकर किसी के पास कोई स्पष्ट विचार नहीं है. यह ताजमहल तो जयपुर के कछवाहा राजपूतों के राजघराने राजा मानसिंह का महल था. इसकी हकीकत सामने आनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मुकेश शाह ने कहा कि यह आप तय करेंगे कि तथ्य गलत हैं? आप सरकार के समक्ष जाकर अपनी बात प्रस्तुत करें. या फिर आप पुरातत्व विभाग के पास जाएं.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिकाएं गड़बड़ी की जांच के लिए नहीं हैं. हम यहां इतिहास को फिर से खोलने के लिए नहीं हैं. इतिहास को जारी रहने दें.
याचिककर्ता सुरजीत सिंह यादव ने अपनी याचिका में ताजमहल की सही उम्र का निर्धारण करने और मुगल युग के स्मारक के निर्माण के पीछे छिपे ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाने की मांग की थी. याचिका में ये भी कहा गया था कि स्मारक से पहले वहां क्या निर्माण मौजूद था? इस के बारे में पता लगाने के आदेश जारी किए जाएं. साथ ही इसमें मांग की गई कि किताबों में पढ़ाए जाने वाले कथित ताजमहल के इतिहास को भी बदला जाए.