वैवाहिक विवादों में पीड़िता के मेंटेनेंस की रकम के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत गाइड लाइन जारी की है. अब विवाद के अदालत में जाने के बाद ही दोनों पक्षकारों को अपनी आमदनी के स्रोत और पूरा ब्योरा देना होगा. इसके बाद ही गुजारा भत्ता की रकम तय की जाएगी. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी ताकीद की है कि हाईकोर्ट इस पर अमल करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदु मलहोत्रा और जस्टिस सुभाष रेड्डी की पीठ ने अपने इस अहम फैसले में विस्तार से गाइडलाइन के विभिन्न पहलुओं को बताया है, यानी विवाद की सुनवाई जारी रहने के दौरान अंतरिम गुजारा भत्ता की रकम अवधि और अन्य पहलुओं पर भी स्थिति स्पष्ट कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन में दोनों पति-पत्नी को अब उस तारीख से अपनी आय और संपत्ति का खुलासा करना होगा, जिस दिन गुजारा भत्ता के लिए आवेदन किया गया हो. इसके साथ ही जब तक आय और संपत्ति का खुलासा नहीं होता है, तब तक गुजारा भत्ता न दे पाने तक गिरफ्तारी या जेल भेजने की प्रक्रिया रोक दी जाएगी.
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जस्टिस इंदु मल्होत्रा और सुभाष रेड्डी की पीठ ने बुधवार को यह सुनिश्चित किया कि पति या पत्नी को गुजारा भत्ते का भुगतान किया जाए. इससे पहले, अदालतों के न्यायाधीश को संपत्ति और आय की गणना कब से करने की छूट थी. नियम के अनुसार दोनों पक्षों को आय और संपत्ति का खुलासा करना चाहिए, लेकिन कई मामलों में हलफनामा दायर करके छुट्टी मिल जाती थी.
अब सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन के बाद गुजारा भत्ता का दावा करने वाले पक्ष को काफी सहूलियत होगी. इस फैसले से यह उस पति या पत्नी को राहत मिलेगा, जिसने गुजारा भत्ता का दावा किया है, लेकिन समय से गुजारा भत्ता नहीं मिला. अब गुजारा भत्ता न देने पर जेल हो सकती है.