सुप्रीम कोर्ट ने आगरा के ताज महल में हमेशा से बंद कुछ कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि ये 'पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' नहीं बल्कि 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन' है. यानि यह याचिका सिर्फ चर्चाओं में आने के लिए दी गई थी.
बीजेपी की अयोध्या इकाई के नेता रजनीश सिंह ने यह याचिका अदालत में दायर की थी. उन्होंने सबसे पहले मई में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर ताज महल में बंद पड़े 22 कमरों को खोलने की मांग की थी. उन्होंने डिमांड की थी कि कोर्ट आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को ये कमरे खोलने का आदेश दे, ताकि वहां हिंदू मूर्तियों और शास्त्रों के अस्तित्व का पता लग सके.
गौरतलब है कि ताज महल को लेकर ये विवाद नया नहीं है. हिंदू संगठन दावा करते रहे हैं कि ताज महल से पहले यहां शिव मंदिर था, जिसे 'तेजो महालय' नाम से जाना जाता था. दरअसल, ताज महल का 'तेजो महालय' नाम सबसे पहले एक मराठी किताब से आया. इसके लेखक पीएन ओक ने 1960 से 70 के दशक में कई विवादित किताबें लिखी थीं. ओक ने किताब 'ताज महल- द ट्रू स्टोरी’ में ताज महल की जगह शिव मंदिर होने की बात कही थी.
पुरुषोत्तम नागेश ओक उर्फ पीएन ओक एक पत्रकार और इतिहास लेखक थे. वे हिन्दू विचारधारा इतिहास के पुनर्लेखन के लिए जाने जाते थे. उन्होंने 'ताज महल एक शिव मंदिर', 'फतेहपुर सीकरी एक हिन्दू नगर' आदि किताबें लिखी थी. ताज महल के अलावा ओक ने काबा पर भी अपनी किताबों में सवाल उठाए थे. यही नहीं, ओक ने क्रिश्चियनिटी को कृष्ण नीति और वेटिकन सिटी को वाटिका तक बताया था.