मेवात में भड़की और गुरुग्राम और नूंह सहित कई शहरों कस्बों में फैली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. दिल्ली-एनसीआर में आयोजित वीएचपी-बजरंग दल की विरोध रैलियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच पर कानून काफी जटिल है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा बलों में भी समुचित संवेदनशीलता होनी चाहिए ताकि अतीत वर्तमान और भविष्य को देखा और साधा जा सके.
'सरकार आपस में मिलकर निकाले समाधान'
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने याचिकाकर्ताओं और सरकार को आपस में मिलकर समुचित समाधान निकालने के लिए आपसी विचार विमर्श कर दो हफ्ते में आने को कहा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की ये खंडपीठ मेवात में भड़की हिंसा के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में आयोजित वीएचपी-बजरंग दल की विरोध रैलियों पर रोक लगाने की गुहार वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, यूपी और दिल्ली पुलिस सहित प्रशानिक अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कहीं किसी जुलूस, जलसे या आयोजन में कोई हेट स्पीच और हिंसा न हो.
'सही दिशा में बढ़ाएं सख्त कदम'
जस्टिस संजीव खन्ना ने उम्मीद जताई कि सही दिशा में सख्त कदम बढ़ाने से ठोस चीजें और स्थितियां ठीक होंगी. आप मिल बैठकर समाधान क्यों नहीं निकालते?
याचिकाकर्ता के वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि कुछ लोग बार-बार लगातार नफरत बढ़ाने और भावनाएं भड़काने वाले भाषण दे रहे हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मेरे पास भी कुछ भाषण हैं जिन्हें मैं याचिकाकर्ता के साथ साझा करूंगा.
कुछ वकील ही हैं जो ऐसे भाषणों की क्लिप्स मुझे भेजते हैं. ये ऐसी क्लिप हैं जो देश के धर्मनिरपेक्षता ताने बाने को ध्वस्त करती हैं. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि मौजूद कानूनी प्रावधानों के अलावा अदालत के बाहर भी तंत्र विकसित करना होगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई बार अतीत के जवाब से भी भविष्य के सवाल हल होते हैं. यानी रास्ते की पिछली घटनाओं से सबक लेकर आगे का सफर आसान हो सकता है.