वकील एल विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज के तौर पर शपथ ली. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया. विक्टोरिया गौरी के विवादित बयानों और राजनीतिक भूमिका को आधार बनाकर उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई थी.
केंद्र सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में एडमिशनल जज के रूप में एडवोकेट एल विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को अधिसूचित किया था. केंद्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
तमिलनाडु: चेन्नई में एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ लीI pic.twitter.com/i5DO5Itu7R
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 7, 2023
21 वकीलों ने लिखा था राष्ट्रपति को पत्र
इससे पहले गौरी को जज बनाने के फैसले का मद्रास हाईकोर्ट के 21 वकीलों ने विरोध किया था. वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सौंपी गई फाइल को वापस करने की अपील की थी, जिसमें विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी. वकीलों ने दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी बीजेपी नेता हैं.
इतना ही नहीं वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के कुछ बयानों का भी जिक्र किया था. जो कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ थे. वकीलों ने आरोप लगाया था कि गौरी विचार और धार्मिक कट्टरता हाईकोर्ट के जज के तौर पर उनकी नियुक्त को आयोग्य बनाता है.