मणिपुर में हुई हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सर्वोच्च अदालत ने इस हिंसा पर राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. अदालत ने राज्य को तमाम तफसील के साथ स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए 17 मई का वक्त दिया है.
इस मामले की सुनवाई CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब वहां हालात सुधर रहे हैं. पहले हालात सामान्य हो जाएं फिर अदालत केस को सुन सकती है.
अदालत ने सरकार से पूछे यह सवाल
इसी मामले की सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि राहत कैंपों में कितने लोग हैं? उनके लिए क्या इंतजाम हैं? साथ ही CJI ने यह भी टिप्पणी की कि पूजा और उपासना स्थलों की भी सुरक्षा और संरक्षा की जानी चाहिए. CJI ने यह भी पूछा कि विस्थापितों को वापस घर लाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
'राज्य में सामान्य हो रही स्थिति'
इस तमाम सवालों के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पैरामिलिट्री फोर्स की 52 कंपनियां तैनात की गई हैं. इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में कल से कोई हिंसा नहीं हुई है. आज भी तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई है. सॉलिसिटर जनरल से सीजेआई ने पूछा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं. केंद्र भी निगरानी कर रहा है, स्थितियों पर लगातार नजर रखी जा रही है.
अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा- संभल कर दें दलील
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि आप सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों को इस तरीके से रखें कि यहां सुनवाई में कही गई कोई भी बात वहां मणिपुर के माहौल को अस्थिर करने/अशांति बढ़ाने की वजह न बन जाए. अदालत ने कहा, आप याचिका में रखी गई अपनी चिंताओ को बिना पढ़े हमें याचिका का पेज नंबर भी बता सकते हैं, हम उन्हें खुद देख लेंगे.
सरकार ने उठाए यह कदम
SG तुषार मेहता ने बताया कि राज्य सरकार हालात सामान्य करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है. हिंसाग्रस्त इलाकों में 52 कंपनी CAF की और 101 कंपनी असम राइफल की तैनात की गई है. इलाके में सुरक्षाबल फ्लैग मार्च कर रहे हैं. सीनियर पुलिस अफसर को सिक्योरिटी एडवाइजर नियुक्त किया गया है. शांति वार्ता की जा रही है. सुरक्षा निगरानी के लिए हेलिकॉप्टर और ड्रोन की मदद ली जा रही है. रिलीफ कैंप लगाए गए हैं जहां बुनियादी सुविधाओं के साथ मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.
अदालत नहीं सुना सकती यह फैसला...
मामले में दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई अब 17 मई को होगी. अदालत ने मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार से अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. सीजेआई ने कहा कि आरक्षण देने से जुड़ा कोई फैसला कोर्ट या राज्य सरकार नहीं कर सकती. ये अपील यहां बेअसर होगी, क्योंकि इसकी शक्ति कोर्ट को नहीं बल्कि राष्ट्रपति को है. आप समुचित मंच पर ये मांग ले जाएं. फिलहाल हमारा उद्देश्य राज्य में शांति बहाल करना है. हमें जीवन हानि की चिंता है.