पुलिस हिरासत में होने के बाद भी मुठभेड़ में होने वाली अपराधियों की मौत को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता की ओर से अपील की गई थी कि अपराधी को उसकी इजाजत के बाद ही हथकड़ी पहनाई जानी चाहिए, हालांकि इस याचिका को सुनने से सर्वोच्च अदालत ने इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम सहमत हैं कि इसे रोका जाना चाहिए, लेकिन हम इसे कैसे रोक सकते हैं.
याचिकाकर्ता के वकील जितेंद्र शर्मा ने अदालत में कहा कि कैदी के हाथ बांधने से पहले मंजूरी लेनी चाहिए, वह उसे हथकड़ी बांधने से इनकार नहीं कर रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई कैदी खतरनाक होते हैं, जिन्हें हथकड़ी पहनाना जरूरी है. ऐसा कौन ही कैदी होगा, जो खुद ही कहेगा कि हां, मेरे हाथ बांध दो.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये परिस्थितियों और अपराधी के दुर्दांत होने पर निर्भर करता है. इस बारे में सीधे कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है.
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि हिरासत में लेकर पुलिस मुठभेड़ में अपराधियों को मार देती है. ऐसे में कोर्ट आदेश दे कि किसी भी अपराधी को उससे पूछकर ही हथकड़ी पहनाई जाएगी.
गौरतलब है कि पिछले कुछ वक्त में देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां हिरासत में लिए गए अपराधी के साथ पुलिस एनकाउंटर हुआ हो. कई ऐसे मामलों पर गंभीर सवाल भी खड़े हुए हैं.