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आलोचना की भी एक सीमा होती है, जानें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ऐसा क्यों कहा?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि आलोचना की एक सीमा होती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें भी सेहत में सुधार के लिए थोड़ा टाइम चाहिए होता है. पिछले दिनों थोड़ी तबीयत ठीक नहीं थी तो मैं फाइल पढ़ नहीं पाया और मामले की सुनवाई टल गई. मीडिया में आया कि अदालत इस मामले में सुनवाई टाल रही है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने मीडिया में हो रही चर्चाओं पर टिप्पणी की. ईसाई समुदाय के संस्थानों की रक्षा सुनिश्चित करने की गुहार वाले एक मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछली बार मेरी सेहत ठीक नहीं होने की वजह से सुनवाई क्या टाली गई कि लोग बिना समझे कुछ भी लिखने लगे. मेरे ऊपर व्यक्तिगत हमले करने लगे. 

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दरअसल जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ के सामने ईसाइयों पर हिंसक हमले का मामला जल्दी सुनवाई के लिए मेंशन किया गया तो जस्टिस चंद्रचूड़ को याद आया कि ये मामला उनकी और जादतीस बोपन्ना की पीठ में 11 जुलाई को लगा था. उसे फिर 15 जुलाई तक टाला गया, लेकिन कोविड संक्रमित होने की वजह से पीठ बैठ नहीं पाई थी. लिहाजा जस्टिस चंद्रचूड़ फाइल भी नहीं पढ़ पाए. आज जब मामला मेंशन किया गया तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें भी सेहत में सुधार के लिए थोड़ा टाइम चाहिए होता है. पिछले दिनों थोड़ी तबीयत ठीक नहीं थी तो मैं फाइल पढ़ नहीं पाया और मामले की सुनवाई टल गई. 

मीडिया में आया कि जज ईसाइयों की सुरक्षा के मामले पर सुनवाई नहीं कर रहे. अदालत इस मसले को टाल रही है. आखिर बर्दाश्त करने की भी कोई हद होती है. लोग हमारी मुश्किलें भी समझें. इस तरह निशाने पर लेना सही नहीं है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने भी चुटकी ली कि ठीक है इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए वरना फिर कोई दूसरी खबर बन जाएगी. 

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अप्रैल में दायर हुई थी याचिका

इसी साल अप्रैल में ये रिट याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें देश के कुछ हिस्सों में ईसाइयों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट से कुछ निर्देश जारी करने की गुहार लगाई गई थी. बेंगलुरु के आर्क बिशप, डॉ. पीटर मकाडो, नेशनल सोलिडेरिटी फोरम और द एवेंजेलीकल फेलोशिप ऑफ इंडिया की साझा याचिका में गुहार लगाई गई थी कि अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित किए जाएं.
 

 

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