सुप्रीम कोर्ट में बार-बार बेकार और निराधार याचिकाएं दाखिल करने वाले एक याचिकाकर्ता पर कोर्ट की ओर से 25 लाख रुपये जुर्माना नहीं चुकाने पर NGO सुराज इंडिया ट्रस्ट पर अदालत की अवमानना का मामला चले या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बहस पूरी होने की घोषणा कर फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने NGO सुराज इंडिया के अध्यक्ष राजीव दहिया को कहा कि तीन दिनों के भीतर वो माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. लेकिन माफीनामे का सीधा मतलब यही मतलब होगा कि आपने गलती की है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल ने राजीव दहिया को हिंदी में समझाते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में एक ही पक्ष जीतता है दूसरा हारता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि न्याय हुआ ही नहीं. न्याय वो नहीं है जो आप चाहते हो.
जस्टिस कौल ने कहा कि न्याय तो अपनी नजर और नजरिए से चलता है. आपकी इच्छा से नहीं. अब आप जिस भाषा में बोल रहे हैं हम उसी भाषा में आपको समझा रहे हैं. आप सीधे-सीधे न्याय व्यवस्था को ही दोष दे रहे हैं और न्यायपालिका तथा जजों को जो मन में आए वो बोलते जा रहे हैं.
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कानून तो सबके लिए बराबरः जस्टिस कौल
उन्होंने कहा, 'हमारा काम न्याय करने का है. हम न्याय करने को बैठे हैं. आपके कुछ भी बोलने से हम पर फर्क नहीं पड़ेगा. कानून तो सबके लिए बराबर है. आपके ऊपर है कि आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो.' उन्होंने कहा, 'अब आप अपनी लाइसेंसी पिस्टल से गोली चला कर किसी को मार दो फिर कहो कि गलती मेरी नहीं लाइसेंस देने वाले की है. ये कोई तरीका है आपका? ऐसे नहीं चलेगा. लेकिन आपकी आदत है कि इतना कीचड़ उछालो कि सामने वाला खुद ही पीछे हट जाए.'
इससे पहले दिसंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुराज इंडिया ट्रस्ट NGO को 25 लाख रुपये जुर्माना के देने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सुराज इंडिया ट्रस्ट NGO की आदेश को वापस लेने की याचिका को खारिज किया था.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि क्या सड़क हादसों में मारे गए लोग इंसाफ के हकदार नहीं है. महिलाओं, बच्चों और गरीब लोगों का क्या जो इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने कई याचिकाएं दाखिल की थी जिसकी वजह से आप पर जुर्माना लगाया गया, जिस बेंच ने आप पर जुर्माना लगाया था उसने आपको अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया था. अब आपको जुर्माने की रकम देनी होगी.
ट्रस्ट की 64 याचिकाओं से समय बर्बादः SC
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बेकार और गंभीरता से विचार न करने वाली याचिकाओं को दाखिल करने के मामले में सुराज इंडिया ट्रस्ट नाम के NGO पर 25 लाख का जुर्माना लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुराज इंडिया ट्रस्ट और उसके अध्यक्ष राजीव दहिया को आजीवन कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने से भी बैन कर दिया था. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने ट्रस्ट से सवाल किया कि आपने अब तक 64 याचिकाएं दाखिल की थी और सभी खारिज हुई हैं.
आखिर आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. तब मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि ट्रस्ट की याचिकाओं से कोर्ट का समय बर्बाद हुआ है. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सुनवाई की थी.