लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा मोनू की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में ट्रायल शुरू हो गया है. यूपी सरकार ने कहा कि कुछ और आरोपी भी जेल में हैं. आशीष की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
आशीष के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आशीष मिश्रा पिछले एक साल से जेल में है. एक बार उनको जमानत मिली फिर सुप्रीम कोर्ट ने बेल खारिज कर दी थी. मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में 400 से ज्यादा गवाह हैं जिनका बयान होना बाकी है. मौजूदा रफ्तार को देखते हुए तो पांच साल तक ट्रायल ही चलेगा. ऐसे में मेरे क्लाइंट का क्या होगा? रोहतगी ने कहा कि दूसरी FIR में आरोपों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है. इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह भी सामने नहीं आया है.
यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मामले 4 आरोपियों की जमानत की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में चल रही है. यूपी सरकार के वकील ने कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत पर न छोड़ा जाए. हम उनकी जमानत का विरोध कर रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से पूछा कि जमानत के विरोध के पीछे आपकी अप्रिहेंशन क्या हैं?
यूपी सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि बहुत ही गंभीर अपराध है. अगर ऐसे मामले में जमानत दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा. कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार से पूछा कि जब चार्जशीट फ़ाइल हो चुकी है, चार्ज फ़्रेम हो चुके हैं तो कारण और आधार क्या है विरोध का? ऐसे में जमानत के पहलू पर बहस करें.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा इस मामले में जमानत के विरोध के पीछे कोई नई बात, नए आधार, नए तथ्य बताएं. पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जघन्य अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट को आरोपियों को जमानत नहीं देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम फिर क्या मूकदर्शक बने रहें? कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के तहत है. आप दायरे का ख्याल रखें.
क्या है लखीमपुर हिंसा का मामला?
लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर 2021 को नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़क पर उतर आए थे. आरोप है कि केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी. इसके बाद हिंसा हुई थी. इस हिंसा में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, यूपी चुनाव के बाद आशीष मिश्रा जमानत पर जेल से बाहर आ गया था.
जमानत पर आशीष मिश्रा की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत रद्द करते हुए ये केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए सिरे से विचार के लिए भेज दिया था. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका रद्द कर दी थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि वह राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह गवाहों को प्रभावित करेगा. जमानत याचिका खारिज होने के बाद आशीष मिश्रा मोनू ने जमानत के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था.