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केरल: अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति मामले में SC ने मांगा राज्य सरकार से जवाब, HC के फैसले को दी गई चुनौती

केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजना पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि अल्पसंख्यक छात्रों में अनुपातिक भेद नहीं होना चाहिए. राज्य सरकार मुस्लिम और ईसाई छात्रों में 80: 20 के अनुपात में छात्रवृत्ति देने की योजना पर काम कर रही थी.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
  • इस मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी

केरल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की धनराशि मुस्लिम और ईसाई छात्रों को वितरित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. SC ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की अर्जी पर भी नोटिस जारी किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इस मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी. 

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केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजना पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि अल्पसंख्यक छात्रों में अनुपातिक भेद नहीं होना चाहिए. राज्य सरकार मुस्लिम और ईसाई छात्रों में 80:20 के अनुपात में छात्रवृत्ति देने की योजना पर काम कर रही थी. 

ईसाई मतावलंबी की याचिका पर HC ने दिया था फैसला

केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की बेंच ने कहा था कि अल्पसंख्यक छात्रों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए. केरल हाईकोर्ट में एक ईसाई मतावलंबी जस्टिन पल्लीवतुक्कल ने जनहित याचिका दाखिल कर इस योजना को चुनौती दी थी.
 
अब इस मामले में केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. याचिका में सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को अतार्किक, गलत सूचना पर आधारित और बिना सोचा हुआ विचार का बताया है. सरकार का कहना है कि ये छात्रवृत्ति योजना चलाने का फैसला जस्टिस सच्चर कमेटी और पिलोली मोहम्मद कुट्टी कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है. 

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क्या थी कुट्टी कमेटी की सिफारिश? 

केरल की सरकार ने जस्टिस राजेंद्र सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की योजना बनाने के लिए पिलोली मोहम्मद कुट्टी कमेटी बनाई थी ताकि सच्चर कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक मुसलमानों का शैक्षिक पिछड़ापन दूर किया जा सके. कुट्टी कमेटी की सिफारिश के मुताबिक, राज्य सरकार ने 16 अगस्त  2008 में सरकारी आदेश जारी कर दस करोड़ रुपए सालाना की पांच हजार छात्रवृत्तियां डिग्री और पीजी स्तर पर प्रोफेशनल कोर्स करने वाली मुस्लिम लड़कियों को देने की योजना चलाई. 

बाद में फिर लोगों की कानूनी आपत्तियों के बाद इसमें 2011 में  20% हिस्सेदारी लैटिन और धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने समुदाय की लड़कियों को भी देने की घोषणा कर दी गई. ये ईसाई पिछड़ी जातियों से धर्म बदल कर ईसाई बने थे. राज्य सरकार की ये भी दलील थी कि संविधान का अनुच्छेद 29 किसी राज्य को पिछड़े वर्ग के लिए छात्रवृत्ति देने की सीमा पर कोई बार यानी सीमा तय नहीं करता. राज्य सरकार ने तो राज्य में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम छात्रों छात्राओं को छात्रवृत्ति देकर उल्टे संविधान के अनुच्छेद 15(4) को व्यापक करते हुए इसे मजबूती दी है. 

 

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