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सांसदों-विधायकों पर लंबित आपराधिक केस को लेकर SC सख्त, HC के चीफ जस्टिसों की दी ये जिम्मेदारी

देश भर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के जल्द निपटारे की मांग पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निचली अदालत में लंबित ऐसे मुकदमों की खुद निगरानी करने को कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का हो जल्द निपटारा
  • सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसों को दी खास जिम्मेदारी
  • केसों पर लगे हाई कोर्ट की रोक को हटाने का भी दिया है निर्देश

देश भर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के जल्द निपटारे की मांग पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निचली अदालत में लंबित ऐसे मुकदमों की खुद निगरानी करने को कहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी मुकदमे पर हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी हो, तो उसे जल्द से जल्द हटाया जाए.

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इससे पहले कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि देश भर में पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की संख्या 4600 से भी ज्यादा है. यही नहीं कोर्ट को यह भी बताया गया था कि इनमें से कुछ मुकदमे तो 40 साल तक पुराने हैं, लेकिन उनमें अभी तक आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले इस मामले से जुड़ी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में वह विस्तृत आदेश जारी करेगा. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले में सुनवाई में तेजी लाने को लेकर जो भी फैसला आएगा उसका वह स्वागत करेगी. इसके साथ ही सरकार ने सुझाव दिया था कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा भी निर्धारित कर सकती है.

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बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि केंद्रीय एजेंसियों के पास जो मामले हैं. उसमें कुछ मामले तो दो-तीन दशक से लंबित हैं, सरकार क्या कर रही है?

 

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