ऑनलाइन गेमिंग पर लगने वाले GST पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि लॉटरी पर केवल राज्य सरकार ही टैक्स लगा सकती, केन्द्र द्वारा सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि वह सर्विस टैक्स लगाने का हकदार है.
जस्टिस नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिक्किम हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुआ की कैटेगरी में आती है, जो राज्य सूची की प्रविष्टि 62 है और केवल राज्य ही टैक्स लगा सकता है.
1 अक्टूबर, 2023 को जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर लगाए जाने वाले सट्टों के पूरे फेस वैल्यू पर 28 फीसदी टैक्स लगाया. इस टैक्स के तहत अगस्त 2017 से 1 अक्टूबर, 2023 तक के ट्रांजैक्शन शामिल होंगे. गेमिंग कंपनियों ने इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें सकल गेमिंग राजस्व (GGR) के आधार पर टैक्सेशन की वकालत की गई.
उन्होंने तर्क दिया कि फुल फेस वैल्यू पर टैक्स लगाना सही नहीं है क्योंकि खिलाड़ी पहले से ही हर डिपोजिट पर 28 फीसदी जीएसटी के अंतर्गत आते हैं. दिसंबर 2023 तक, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 71 कारण बताओ नोटिसेज से जूझ रही थीं, जिनमें उन पर 2022-23 और 2023-24 के पहले सात महीनों के लिए 1.12 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का आरोप लगाया गया था.