भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने NIA की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नवलखा को नजरबंद करने पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर नवलखा को नजरबंदी में भेजे जाने का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि डीवीआर के सीसीटीवी कैमरे को पहली मंजिल से हटाकर एनआईए की मर्जी के मुताबिक शिफ्ट किया जा सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गौतम नवलखा मामले में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जहां एक तरफ नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में देरी करने का आरोप लगाया है तो वहीं एनआई ने अपनी याचिका में मेडिकल रिकॉर्ड में गड़बड़ी बताते हुए उनकी हाउस अरेस्ट को रद्द करने की मांग की.
केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विशेष अनुमति याचिका दायर की. नजरबंदी के प्रावधानों को चुनौती देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में तथ्य काफी परेशान करने वाले हैं. मुझे भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि मेडिकल रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर नवलखा के रिश्तेदार हैं. इसके अलावा जो घर नवलखा की नजरबंदी के लिए तय किया गया है, वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दफ्तर है.
इस पर जस्टिस जोसफ ने कहा कि तो क्या हुआ? भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी देश की मान्यताप्राप्त पार्टी है. तुषार मेहता ने कहा कि क्या आपकी अंतरात्मा इसे सही मानती है. जस्टिस जोसफ ने कहा कि हां मुझे इसमें कोई गड़बड़ नहीं दिखती. तुषार मेहता ने कहा कि हमें इसमें गड़बड़ लगी, इसलिए हमने कोर्ट के सामने ये तथ्य रखे हैं.
मेहता ने कहा कि हाउस अरेस्ट अलग बात है और राजनीतिक दल में रहने की बात अलग है. इस पर बेंच ने कहा कि यदि आपको संबंधित परिसर से कोई समस्या है तो उस पर बहस करें, लेकिन अन्य सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है. नवलखा की ओर से वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि पुस्तकालय किसी पार्टी की नहीं बल्कि ट्रस्ट का है. इमारत भी ट्रस्ट की है. यहां किसी बाहरी आदमी का आना जाना नहीं है. सीपीआई मान्यता प्राप्त पार्टी है और माओवाद का हमेशा खण्डन करती रही है. माओवादियों के खिलाफ है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दस नवंबर को एक महीने के लिए नवलखा को तलोजा जेल से निकालकर नवी मुंबई में हाउस अरेस्ट के आदेश दिए थे. इसके लिए पीठ ने शर्ते भी लगाते हुए कहा था कि हाउस अरेस्ट के दौरान किसी तरह का कोई संचार उपकरण यानी कोई लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि कुछ नहीं होगा. इस दौरान वो किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. ना ही मीडिया से और ना ही इस मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात नहीं करेंगे. इसके अलावा भी कई इंतजाम करने के आदेश दिए गए थे. एनआईए ने इसका विरोध किया था.