राशन कार्ड को रद्द किए जाने की वजह से भुखमरी से हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है. इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई है. वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 3 करोड़ से अधिक कार्ड रद्द कर दिए गए हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इस मामले को प्रतिकूल नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है. शुरुआत में याचिकाकर्ता कोइली देवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि याचिका बड़े मुद्दे से संबंधित है.
इस पर सीजेआई ने कहा, 'यह समस्या देखते हैं और मैंने इस तरह के मामले को बॉम्बे हाई कोर्ट में निपटा दिया है और मुझे लगता है कि इस मामले को हाईकोर्ट के समक्ष दायर किया जाना चाहिए.' पीठ ने गोंसाल्विस को बताया कि उन्होंने बहुत ही सर्वव्यापी प्रकार की राहत मांगी है और इस मामले का दायरा बढ़ा है.
वरिष्ठ वकील गोंसाल्वेस ने अपने तर्कों के साथ कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि केंद्र ने लगभग तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिए हैं. पीठ ने कहा कि वह किसी और दिन इस मामले की सुनवाई करेगी क्योंकि यह गोंसाल्विस ने माना है कि केंद्र सरकार ने राशन कार्ड रद्द कर दिया है.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि गोंसाल्विस द्वारा दिया गया गलत बयान है कि केंद्र ने राशन कार्ड रद्द कर दिए हैं. पीठ ने कहा, "हम आपसे (केंद्र) आधार मुद्दे के कारण जवाब देने के लिए कह रहे हैं, यह कोई प्रतिकूल याचिका नहीं है, हम इसे आखिरकार सुनेंगे, चार सप्ताह के बाद सुनवाई होगी.'
9 दिसंबर, 2019 को शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों से उन लोगों की भुखमरी से मौत के आरोपों पर प्रतिक्रिया मांगी थी जो वैध आधार कार्ड नहीं होने के कारण अपने राशन आपूर्ति से वंचित थे
क्या है याचिका
कोइली देवी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है, जिसकी झारखंड में सिमडेगा जिले की 11 वर्षीय बेटी संतोषी की 28 सितंबर, 2018 को भुखमरी से मृत्यु हो गई. संतोषी की बहन गुड़िया देवी मामले में संयुक्त याचिकाकर्ता हैं.
याचिका में कहा गया है कि संतोषी, जो एक गरीब दलित परिवार से संबंध रखती थी, की मृत्यु हो गई क्योंकि स्थानीय अधिकारियों ने उसके परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया था क्योंकि वे इसे आधार से जोड़ने में विफल रहे थे.