शिरोमणी अकाली दल के संरक्षक रहे दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल, और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले पर विचार करने की मांग की गई है.
होशियारपुर अदालत की कार्यवाही को दी गई चुनौती
दरअसल पंजाब की होशियारपुर अदालत में लंबित कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में लंबित कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने सुखबीर सिंह बादल, दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल और दलजीत सिंह चीमा की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाया था. याचिका में होशियारपुर की अदालत की कार्यवाही को चुनौती दी गई है. ये फैसला जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था समन
सुप्रीम कोर्ट ने शिरोमणी अकाली दल के दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में निचली अदालत द्वारा जारी समन खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा इस मामले में समन जारी किया जाना और कुछ नहीं कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग का मामला है. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ बादल और चीमा ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. इसके बाद अगस्त 2021 में बादल और चीमा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां से उन्हें राहत मिल गई थी.
सामाजिक कार्यकर्ता ने दर्ज कराई थी शिकायत
सामाजिक कार्यकर्ता बलवंत सिंह खेरा ने प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बलवंत सिंह ने बादल पर धोखाधड़ी, बेईमानी और तथ्य छिपाने के आरोप लगाए थे. खेरा ने 2009 में की गई शिकायत में कहा था कि शिरोमणि अकाली दल के दो संविधान हैं. एक संविधान उन्होंने गुरुद्वारा इलेक्शन कमीशन में रजिस्ट्रेशन के दौरान जमा कराया था, ताकि पार्टी को गुरुद्वारों के प्रबंधन का अधिकार मिल सके. वहीं दूसरा संविधान चुनाव आयोग के पास जमा है, ताकि राजनीतिक पार्टी का दर्जा मिल सके.