बंगाल चुनाव में "जय श्री राम" के नारे पर रोक लगाने और ऐसे नारे लगाने वाली पार्टी के नेताओं के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के आदेश वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका में बीजेपी नेता अमित शाह और शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करने के आदेश देेने की भी मांग की गई थी.
याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता चुनावी सभाओं और रैलियों में "जय श्री राम " के नारे लगा रहे हैं. यह आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन है. लिहाज़ा उनके खिलाफ FIR दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.
इस याचिका में आठ चरणों में पश्चिम बंगाल चुनाव कराने के चुनाव आयोग के आदेश को भी चुनौती दी गई थी, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया. सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि, मैं राज्य की शांति व्यवस्था समेत कई अन्य मसले भी कोर्ट के सामने लेकर आया हूं. सीजेआई ने कहा कि आप पहले हाईकोर्ट जाइये.
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि 1996 के महेंद्र सिंह गिल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चुनाव के नोटिफिकेशन के बाद हाईकोर्ट चुनाव संबंधी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता. सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट के पास यह अधिकार है. आप हमें बताये कि पूर्व के फैसले में ऐसा कहां कहा गया है?
याचिकाकर्ता ने जो पैरा पढ़ा उसमें ऐसा कुछ नहीं था तो कोर्ट ने टोका. तब वकील ने सुप्रीम कोर्ट रूलिंग पढ़नी शुरू कर दी. लेकिन वो भी उनकी याचिका और प्रेयर से मेल नहीं खा रही थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी इन दलीलों से सहमत नहीं हैं. याचिका खारिज की जाती है.