राजस्थान की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे दंपति ने संतान प्राप्ति के लिए IVF कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पैरोल की मांग की है. इस पर उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के अधिकारियों से कहा है कि वह सजा काट रहे दंपति के पैरोल के अनुरोध पर ‘‘सहानुभूतिपूर्वक’’ विचार करें. दरअसल, दंपती ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट ने दंपति की याचिका को खारिज कर दिया था.
जस्टिस सूर्यकांत और जे के माहेश्वरी की पीठ ने राजस्थान हाई कोर्ट के पिछले साल मई के फैसले के खिलाफ दंपति की ओर से दायर याचिका पर आदेश पारित किया. हाई कोर्ट ने IVF इलाज के लिए पैरोल वाली याचिका खारिज कर दी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पैरोल के हकदार थे, क्योंकि 45 वर्षीय महिला को गर्भ धारण करने के लिए चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है.
पीठ ने अपने 10 फरवरी के आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता उम्र कैद की सजा काट रहे हैं और मौजूदा समय में वे ओपन एयर कैंप, दुर्गापुरा, जयपुर, राजस्थान में बंद हैं, जहां वे एक क्वार्टर में साथ रहते हैं. यह एक खुली जेल है.'
चूंकि 45 वर्षीय महिला का उदयपुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है, इसलिए अधिकारी याचिकाकर्ताओं को वहां की खुली जेल में स्थानांतरित करने के लिए तैयार हैं. पीठ ने कहा, अगर याचिकाकर्ता इस तरह के स्थानांतरण के लिए आवेदन करते हैं, तो दो सप्ताह के भीतर उचित आदेश पारित किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने उन्हें पैरोल के लिए आवेदन करने की भी छूट दी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ताओं द्वारा सहानुभूतिपूर्वक और उनकी नीति के अनुसार अनुरोध पर विचार करें. अगर कोई कोई कानूनी बाधा नहीं आती है तो उन्हें पैरोल दें. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि महिला की पिछली शादी से दो बच्चे हैं और याचिकाकर्ताओं ने पैरोल पर रहने के दौरान शादी की थी.
हाई कोर्ट ने कहा था कि पैरोल नियम, 2021 पर राजस्थान कैदी रिहाई के तहत आकस्मिक पैरोल केवल मानवीय विचार से जुड़े आपात मामलों में ही दिए जा सकते हैं.