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जस्टिस यशवंत वर्मा पर FIR की मांग वाली याचिका SC से खारिज, कोर्ट ने कहा- कोई औचित्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में मांग की गई कि दिल्ली पुलिस को जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जाए. 3 जजों की कमेटी बनाने का कोई मतलब नहीं है. जांच पुलिस को करनी चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Yashwant Varma) के घर कथित तौर पर नोटों का ढेर मिलने के मामले में दाखिल याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दी. वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा की याचिका पर जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने कहा कि अभी अदालत के इस मामले में दखल देने का औचित्य नहीं है.

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याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जाए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3 जजों की समिति बनाने का कोई औचित्य नहीं है. जांच की कार्यवाही अब पुलिस को करनी चाहिए.

याचिका में न्यायपालिका के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को प्रभावी और कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जिसमें न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक, 2010 को दोबारा लाने की मांग की है.

कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह याचिका अभी प्री मैच्योर है क्योंकि CJI ने इन हाउस इंक्वायरी शुरू की है. उसकी रिपोर्ट आ जाए इसके बाद जो प्रक्रिया है, उसको अपनाया जाएगा. आगे सभी ऑप्शन खुले हुए है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच चल रही है. आज इस मामले में दखल देने का कोई आधार नहीं है. अभी इन-हाउस इंक्वायरी चल रही है, रिपोर्ट आने के बाद कई विकल्प हो सकते हैं.

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कोर्ट ने कहा कि इस स्टेज पर इस तरह की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने मैथ्यू नेदुम्पारा की याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.

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