कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर बेल और परोल नियमों में ढील की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इससे जुड़े नियमों में बदलाव कर सकते हैं.
इस मसले पर एक एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र में 2300 से ज्यादा कैदी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं और 10 की वायरस के कारण मौत हो गई है.
ये दलील देते हुए याचिका में नियमों को आसान करने की मांग की गई थी ताकि कोरोना महामारी के दौरान ज्यादा कैदियों को बेल दी जा सके और जेल में कैदियों की संख्या कम हो सके. इस मसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाई कोर्ट बेल या परोल से जुड़े नियम बदल सकते हैं.
गौरतलब है कि मार्च में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया था. जिसके बाद पूरा देश बंद हो गया था. इसी के मद्देनजर जेल में कैदियों की भीड़ करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि वो कमेटी बनाकर फैसला लें कि किन कैदियों को बाहर किया जा सकता है.
बता दें कि इसके बाद कई राज्य सरकारों ने जेलों में कैदियों की संख्या घटाने के मकसद से काफी लोगों को परोल पर रिया कर दिया था. इस बीच नियमों में और राहत देने की मांग की गई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट ऐसा कर सकते हैं.