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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- MCD में नॉमिनेट मेंबर्स नहीं डाल सकते वोट, 17 फरवरी के बाद होंगे मेयर चुनाव

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दिल्ली मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को सुनवाई की. बेंच ने कहा- मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते. संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट है. वहीं, दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने बेंच से कहा कि जब तक कोर्ट इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं करती, तब तक चुनाव स्थगित किया जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मेयर चुनाव को लेकर याचिका पर सुनवाई की. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मेयर चुनाव को लेकर याचिका पर सुनवाई की. (फाइल फोटो)

दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. SC ने मौखिक रूप से कहा कि मनोनीत सदस्य संवैधानिक प्रावधान के अनुसार चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. ऐसे में यह साफ हो गया है कि अब मेयर चुनाव के लिए प्रस्तावित तारीख 16 फरवरी को वोटिंग नहीं हो सकेगी. 

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव के संबंध में AAP की मेयर कैंडीडेट शैली ओबेरॉय ने याचिका दायर की है. इस याचिका में मनोनीत सदस्यों को मेयर के चुनाव में मतदान करने से रोकने के लिए मांग की गई थी. इसके साथ ही ओबेरॉय की याचिका में दिल्ली नगर निगम के सदन के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी को भी हटाने की मांग की गई है.

सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने कहा- मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते. संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट है. वहीं, दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने बेंच से कहा कि जब तक कोर्ट इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं करती, तब तक चुनाव स्थगित किया जा सकता है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. 

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'मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते'

सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कल से हमारे पास संविधान पीठ है और हम उसे अभी ब्रेक नहीं कर सकते. आज हमारे पास अमेरिकी न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल आया है, इसलिए मुझे उनसे मिलना है, इस मामले की लंबी सुनवाई नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243 आर के अनुसार, यह बहुत स्पष्ट है. संक्षिप्त सुनवाई में SC ने कहा- नामांकित सदस्य चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. बेंच ने कहा- मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते. संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं.

तीन बार एमसीडी की बैठक स्थगित

बताते चलें कि मेयर चुनाव को लेकर चौथी बार तारीख पर सहमति बनी है. इस बार 16 फरवरी को मतदान प्रस्तावित है. पिछले तीन बार 6 जनवरी, 26 जनवरी और 6 फरवरी को सदन की बैठक बुलाई गई. लेकिन बीजेपी और आप के सदस्यों के हंगामा करने के चलते बैठक को स्थगित करना पड़ा. 250 सदस्यीय एमसीडी चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर 2022 को आए थे.

16 फरवरी को स्थगित कर देंगे महापौर चुनाव

एलजी कार्यालय की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि अभी 16 फरवरी को चुनाव प्रस्तावित है. लेकिन, अब 17 फरवरी के बाद की तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया जाएगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को शैली ओबेराय की याचिका पर उपराज्यपाल कार्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से जवाब मांगा था.

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कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे: बीजेपी

दिल्ली भाजपा के महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि भाजपा न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करती है. दिल्ली के महापौर चुनाव मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी अंतिम निर्णय आएगा, उसे स्वीकार करेंगे. हमें लगता है कि न्यायालय में जब कोई विषय हो तो उसका मीडिया ट्रायल उचित नहीं है. हम न्यायालय में सुनवाई के दौरान आई किसी भी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना अनुचित समझते हैं.

बीजेपी भी SC में रखेगी अपना पक्ष

भाजपा की महापौर पद की प्रत्याशी रेखा गुप्ता ने भी मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी है. भाजपा अब अपना पक्ष सीधा SC में रखेगी.

AAP ने कहा- हम सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं 

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर AAP नेता सौरभ भारद्वाज का बयान आया है. उन्होंने कहा- वेल सेटल्ड लॉ है कि नॉमिनेटेड काउंसलर वोट नहीं डाल सकते हैं. मेयर के चुनाव पहले कराए जाते हैं और मेयर ही बाकी दो चुनाव कराते हैं. लेकिन यह बहुत बड़ी बेशर्मी थी केंद्र सरकार की कि इसमें भी केंद्र ने बेईमानी करके छोटे से MCD का चुनाव जीतने के लिए 3 बार सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी. इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी देश के सबसे बड़े कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में गई. आज सुप्रीम कोर्ट ने यह बात साफ कर दी.

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भारद्वाज ने कहा- केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि यह कैसे संभव है कि नॉमिनेटेड काउंसलर वोट डालेंगे. जब हमारे वकील ने कहा कि जबरदस्ती नॉमिनेटेड काउंसलर से वोट डलवाया जा रहा है, तो कोर्ट ने यह कहा कि यह बात कानून में है कि वे वोट नहीं डाल सकते हैं. दूसरी बात यह कही कोर्ट ने कि सुप्रीम कोर्ट जब तक फैसला नहीं करता, तब तक केंद्र सरकार और LG जबरदस्ती मेयर का चुनाव न कराएं. हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं कि एक संस्था तो आज देश में आज बची है, जहां पर कानून का राज है, जिस पर केंद्र सरकार का यह किसी का भी कोई दबाव नहीं है.

 

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