सुप्रीम कोर्ट ने रेप मामलों में महिलाओं का टू-फिगर टेस्ट कराने जाने पर सोमवार को सख्त नाराजगी जताई. अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रेप पीड़ित महिलाओं का टू-फिंगर टेस्ट अभी भी हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अब इस टेस्ट को रोका जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
रेप पीड़ित महिलाओं के टू-फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा. इन 10 प्वॉइन्ट में समझिए.
1) यह तथाकथित टू-फिंगर टेस्ट उस गलत धारणा पर आधारित है कि सेक्सुअल रूप से एक्टिव महिला का रेप नहीं हो सकता. रेप का आरोप लगाने वाली महिला की गवाही का महत्व उसकी सेक्सुअल हिस्ट्री पर निर्भर नहीं करता.
2) यह सुझाव देना पितृसत्तात्मक और सेक्सिस्ट है कि एक महिला पर इसलिए विश्वास नहीं किया जा सकता, कि उसके साथ रेप हुआ है क्योंकि वह सेक्सुअली रूप से एक्टिव है.
3) रेप को लेकर महिला की संभावित गवाही उसकी सेक्सुअल हिस्ट्री पर निर्भर नहीं करती.
4) अदालत ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट रेप के ट्रॉमा से गुजर चुकी महिलाओं को दोबारा पीड़ित होने का एहसास कराता है. यह उनकी गरिमा के खिलाफ है. इस टेस्ट को रोका जाना चाहिए.
5) सुप्रीम कोर्ट ने ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामलों में टू- फिंगर टेस्ट नहीं करने को कहा है. इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
6) अदालत ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यौन उत्पीड़न और बलात्कार पीड़ित का टू-फिंगर टेस्ट नहीं हो. इसे लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्राय के दिशानिर्देशों का सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के साथ-साथ यह स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्रों पर पालन होना चाहिए.
7) अदालत ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को निर्देश दिया कि सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम से टू-फिंगर टेस्ट से संबंधित स्टडी को हटाया जाए.
8) सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि इस फैसले को लेकर दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव के साथ साझा किया जाएगा.
9) इस संबंध में अदालत ने इस संबंद में हर राज्य के गृह विभाग के सचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे इसे लेकर पुलिस महानिदेशकों को निर्देश जारी करें.
10) 2013 में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टू-फिंगर टेस्ट महिला की गरिमा और उसकी निजता का उल्लंघन है.