निर्वाचन आयुक्तों के पद पर ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (SC) में अब 21 मार्च को सुनवाई होगी. मामले की सुनवाई तीन जजों जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑग्स्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ करेगी.
निर्वाचन आयुक्तों की हालिया हुई नियुक्ति को लोकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. ADR ने अपनी याचिका में सरकार को नए अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त करने से सरकार को रोकने की मांग की है. साथ ही याचिका में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के अनुसार निर्वाचन आयोग के सदस्य की नियुक्ति के निर्देश देने की भी मांग की गई है.
याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि नए कानून के मुताबिक दो आयुक्तों की नियुक्ति भी हो गई है. वकील विकास सिंह ने पिछले साल 2 मार्च को दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दी. विकास सिंह ने कहा कि इस फैसले में SC ने आदेश दिया था कि इन पदों पर नियुक्ति पीएम और लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई वाली कमेटी द्वारा ही किया जाए. विकास सिंह ने दलील दी कि अगर SC ने अपने फैसले में कोई व्यवस्था दी है तो उसकी यूं अवहेलना नहीं हो सकती. अगली सुनवाई की तारीख कोर्ट ने 21 मार्च तय कर दी है.
इससे पहले नए चुनाव आयुक्तों ने आज पदभार संभाल लिया. चीफ इलेक्शन कमीश्नर राजीव कुमार ने शुक्रवार की सुबह दोनों चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू का स्वागत किया.
बता दें कि ज्ञानेश कुमार कुछ दिनों पहले ही सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से रिटायर हुए हैं. यहां ज्ञानेश ने मंत्रालय के गठन के समय से लेकर अब तक काम किया. सहकारिता मंत्रालय गृह मंत्री अमित शाह के अंतर्गत आता है. इससे पहले ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में कश्मीर डिवीजन के जॉइंट सेक्रेटरी थे, उनके समय ही धारा 370 हटाई गई थी.
वहीं पूर्व आईएएस अधिकारी सुखबीर संधू को जुलाई 2021 में ओम प्रकाश की जगह उत्तराखंड का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था. 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष के रूप में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे. केन्द्र सरकार ने इनको एक साल के लिए लोकायुक्त सचिव नियुक्त किया था.