भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को पेश होने के कई अवसर देने के बाद सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को अदालत की अवमानना मामले में उस पर लगाई जाने वाली सजा पर अपना फैसला सुनाएगा. यह फैसला जस्टिस यू यू ललित की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच की तरफ से सुनाया जाएगा. जस्टिस यूयू ललित के अलावा जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ .गफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज चूक के मामले में अदालती आदेशों के उल्लंघन से संबंधित अदालती अवमानना मामले में सजा सुनाएगी.
कोर्ट ने सुरक्षित रखा था आदेश
शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को माल्या की अनुपस्थिति में सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. माल्या अदालत के सामने पेश नहीं हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में माल्या को पेश होने का आखिरी मौका देते हुए 30 नवंबर 2021 के अपने पहले के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने और खुद या अपने वकील के माध्यम से दलीलें पेश करने की छूट दी थी.
किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज मामले में आरोपी
कोर्ट ने माल्या की अनुपस्थिति में सजा की सुनवाई के साथ आगे बढ़ने में सोचने के लिए समय लिया था. मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने सुझाव दिया था कि अदालत उसे पेश होने का अंतिम अवसर देने के बाद मामले को आगे बढ़ा सकती है. माल्या अपनी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज चूक मामले में आरोपी है.
सुप्रीम कोर्ट के सामने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ की ओर से एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें माल्या के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी. आरोप लगाया गया था कि उसने अपने बच्चों को 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर ट्रांसफर किए, जिससे अदालत के आदेशों का उल्लंघन हुआ.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अवमानना का दोषी पाया था. अदालत ने अगस्त 2020 में 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली उसकी याचिका को भी खारिज कर दिया था और उसे पेश होने का निर्देश दिया था.