मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. पुलिस अधिकारियों और सरकार पर गंभीर आरोप हैं लिहाजा पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर पांचों एफआईआर से संबंधित सारे दस्तावेज और सबूत सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल की अगुआई वाली पीठ ने सीबीआई जांच के आदेश जारी करते हुए कहा कि हम यह नहीं मान सकते कि सत्ता बदलते ही सब कुछ उलट जाता है. अधिकारियों पर एफआईआर होने लगती है. पुलिस अधिकारियों और सरकार पर गंभीर आरोप हैं लिहाजा पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी.
रद्द नहीं होगा परमबीर सिंह का निलंबन
अपने आदेश में कोर्ट ने साफ कर दिया है कि परमबीर सिंह पर जो जांच चल रही थी वह अपनी जगह चलती रहेगी, लेकिन परमबीर सिंह का निलंबन रद्द नहीं होगा. साथ ही अब तक दर्ज पांच एफआईआर के अलावा इन मामलों से संबंधित कोई नई एफआईआर भी दर्ज करनी पड़े तो सीबीआई ही करेगी.
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में दी यह दलील
कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि किसी भी जांच के लिए राज्य की तरफ से सहमति जरूरी है. सरकारी वकील ने कहा कि सीबीआई जांच से पुलिस का मनोबल प्रभावित होगा. सरकार का पक्ष रख रहे वकील ने ये भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच (CBI Inquiry) के पक्ष में नहीं है.
इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि मैं इसके पक्ष में कतई नही हूं कि हर मामला सीबीआई के पास जाए. उन पर बेवजह बोझ क्यों दियाजाए! लेकिन मैं यह पूछ रहा हूं कि जो हो रहा है उससे ज्यादा संदिग्ध क्या हो सकता है? पुलिस और मंत्रालय के आला अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. इस मामले में दो महत्वपूर्ण लोग और महकमे हैं. जिनकी जांच जरूरी है. आप ही ने तो इनको मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनाया था.