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वर्चुअल सुनवाई में एक्चुअल fun, ...जब उघाड़े बदन सुप्रीम कोर्ट के सामने आए गए वकील!

दरअसल, हुआ ये कि सुदर्शन न्यूज मामले की सुनवाई के दौरान केरल से एक वकील दशहरा पूजा के फौरन बाद पूजा के कपड़ों में ही अपने लैपटॉप तक पहुंचे. लैपटॉप ऑन कर दिया. उन्हें लगा कि मैटर दो तीन मिनट बाद आएगा तब तक वो शर्ट और बैंड पहन लेंगे, लेकिन इसी दौरान लैपटॉप ऑन देखकर सुप्रीम कोर्ट कंट्रोल रूम ने उनका कैमरा चालू कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट- PTI
सुप्रीम कोर्ट- PTI
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में सामना आया अजीब वाकया
  • प्रॉपर ड्रेस में नहीं दिखे वकील

सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान वकील को उघाड़े बदन देखकर सभी हैरान रह गए. करीब 10 सेकंड बाद वकील को एहसास हुआ कि उनका लैपटॉप कोर्ट के कंट्रोल रूम ने ऑन कर दिया है.

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जब वकील से फोन पर बात की गई तो सारा माजरा समझ में आया कि गड़बड़झाला आखिर कहां हुआ! दरअसल, हुआ ये कि सुदर्शन न्यूज मामले की सुनवाई के दौरान केरल से एक वकील दशहरा पूजा के फौरन बाद पूजा के कपड़ों में ही अपने लैपटॉप तक पहुंचे. लैपटॉप ऑन कर दिया. उन्हें लगा कि मैटर दो तीन मिनट बाद आएगा तब तक वो शर्ट और बैंड पहन लेंगे, लेकिन इसी दौरान लैपटॉप ऑन देखकर सुप्रीम कोर्ट कंट्रोल रूम ने उनका कैमरा चालू कर दिया. वकील साहब तैयार नहीं थे, लेकिन वो जिस हालत में थे, सबने वैसे ही देख लिया.

हालत कुछ ऐसी हुई जैसे रामलीला में पर्दे के पीछे महिला पात्र बना कोई पुरुष कलाकार बीड़ी पी रहा हो और किसी बच्चे ने परदा उठा दिया हो. अदालतों में वर्चुअल सुनवाई के दौरान ऐसी एक्चुअल घटना पहली बार नहीं हो रही है. अक्सर ऐसी हास्यास्पद और अजीबो-गरीब घटनाएं लॉकडाउन के दौरान देखने को मिली हैं.

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धूम्रपान करते दिखे वकील

कुछ वक्त पहले की बात की जाए तो गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील धूम्रपान करते पकड़े गए. इसका अंजाम ये हुआ कि वकील पर कोर्ट ने नकद जुर्माना लगा दिया. हाई कोर्ट ने वकील अजमेरा को यह नसीहत भी दी कि सुनवाई भले वर्चुअल हो लेकिन अदालत तो एक्चुअल ही है. वकीलों को कम से कम अदालत की गरिमा के अनुसार पेश आना चाहिए. हाई कोर्ट में जस्टिस एएस सुपेहिया ने सुनवाई के दौरान वकील जेवी अजमेरा के धूम्रपान करने को आपत्तिजनक माना और उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. साथ ही अजमेरा को हफ्ते भर में जुर्माने की रकम गुजरात हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश पारित किया.

गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से ऑनलाइन कार्यकलाप ज्यादा आसान और सुरक्षित माना जा रहा है. पिछले सात महीनों से कोर्ट की सुनवाई भी वर्चुअल स्तर पर हो रही है. लेकिन कई लोग ऑनलाइन सुनवाई के दौरान 'न्यूनतम अदालती शिष्टाचार' का पालन तक नहीं कर रहे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले में वकीलों को फटकार लगा चुका है. तो वहीं गुजरात हाई कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चल रही सुनवाई के दौरान धूम्रपान करने वाले वकील जेवी अजमेरा पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. 

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वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन हुक्के का कश लगाते पकड़े गए. धुआं उगलते हुए उनका वीडियो वायरल हो गया था. राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच जब कांग्रेस के साथ बसपा के छह विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी तभी वरिष्ठ वकील राजीव धवन जिरह के दौरान हुक्का पीते पाए गए थे.

बिस्तर पर लेटे थे वकील

ऐसा ही एक मामला जून में भी आया था, जब सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान एक वकील बिस्तर पर लेटे और टी-शर्ट पहने दिखाई दिए जिसके बाद कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान पेश होने वाले वकीलों को शिष्टाचार के साथ पेश होने और अनुचित चीजों को दिखाने से बचने की बात कही थी.

एक दिन सुनवाई के दौरान आवाज आई थी...आलू ले लो...प्याज, पालक, गोभी, मटर, टमाटर...ले लो! सभी चौंके...अदालत का काम कुछ पलों के लिए ठिठक गया. पता चला ओखला के घनी आबादी वाले इलाके के एक वकील साहब सिग्नल की दिक्कत की वजह से खिड़की से आधे बाहर होकर अपनी दलील देने को तैयार हुए लटके थे. तभी सब्जी के ठेले वाले की पंचम सुर की टेर ने सबका ध्यान खींचा. सीजीआई ने कहा पहले उसे निकल जाने दीजिए या वकील साहब आप म्यूट हो जाएं.

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इसी तरह एक दिन सुनवाई खत्म होने के बाद एक महिला वकील अपनी क्लाइंट को कहने लगीं 'रिलीफ नहीं दे रहे हैं. हमने तो काफी कोशिश की. आप ही देखिए. सुनते ही नहीं ये जज लोग, बिल्कुल नहीं सुनते.' जिस वक्त ये किस्सा सुनाई दिया तब जस्टिस अरुण मिश्रा बेंच हेड कर रहे थे. उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा- it's not true madam...ये सही नहीं है मैडम! हम सब सुनते हैं. ये सुनकर महिला वकील सफेद पड़ गईं.

वर्चुअल सुनवाई के दौरान वकीलों के मनमाने व्यवहार पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 जून के अपने आदेश में कहा था, 'यह कोर्ट का विचार है कि जब वकील वर्चुअल सुनवाई करते हुए दिखाई देते हैं, तो उन्हें प्रजेंटेबल होना चाहिए. ऐसी चीजें दिखाने से बचना चाहिए जो सही नहीं हो.'


 

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