दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जब प्रदूषण से नोएडा के स्कूल बंद हैं तो दिल्ली के स्कूल क्यों खुले हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई को तैयार हो गया है. अब 10 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होगी.
याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार को सख्त आदेश दिए जाएं. सीजेआई ने इस बात से सहमति भी जताई और चिंता जताते हुए कि स्थिति भयावह है. हालांकि उन्हें ये याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल करने पर थोड़ी हिचकिचाहट दिखी.
इस याचिका में केन्द्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी सरकार को पक्षकार बनाया गया है. प्रदूषण से निपटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश का पालन ना करने की शिकायत के साथ राज्यों के मुख्य सचिव को तलब कर जवाब पूछने की गुहार याचिका में लगाई गई है.
इसके साथ ही याचिका में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने के कारगर उपायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की गई है. साथ ही स्कूल और दफ्तरों को वर्चुअल मोड पर चलाने का आदेश जारी करने की मांग है.
पंजाब में पराली जलने को बताया जिम्मेदार
स्मॉग टॉवर की संख्या बढ़ाने और दिल्ली में प्रदूषण को खत्म करने के लिए तुरंत कारगर कदम उठाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा ने ये याचिका दाखिल की है. याचिकार्ता ने कहा कि रोज बडे पैमाने पर पंजाब में पराली जलाई जा रही है. स्थिति काफी खराब हो गई है राज्य सेक्रेटरी को कोर्ट को बुलाना चाहिए. यह जीवन के अधिकार का सवाल है. हालांकि इस पर सीजेआई ने कहा कि मैं एक रिपोर्ट पढ़ रहा था कि प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं है.