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गुजरात: BJP के इस दिग्गज नेता के साथ 'खेला', 30 साल बाद छोड़ना पड़ा सहकारिता का पद

करीब चार दशक तक सहकारिता क्षेत्र से जुड़े रहे बीजेपी नेता रमण जानी के इस्तीफे के बाद दक्षिण गुजरात की राजनीति में भूचाल-सा आ गया. इस्तीफा देते हुए रमण भाई ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार उनके ही साथी उन पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगाते आ रहे हैं.

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रमण भाई जानी ने APMC के सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
रमण भाई जानी ने APMC के सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रमण भाई जानी ने APMC चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया
  • पार्टी के नेताओं पर लगाया साजिश करने का आरोप

गुजरात में BJP के एक नेता के साथ खेला हो गया और खेला भी ऐसा हुआ कि उससे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच हुए बगावत की याद आ गई. दक्षिण गुजरात के भाजपा नेता रमण भाई जानी को बीजेपी नेताओं की अंदरूनी कलह की वजह से APMC चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. रमण भाई जानी पिछले 30 साल से सहकारिता में जिम्मेदारी संभाल रहे थे. बीजेपी नेता रमण भाई जानी ने अपने इस्तीफे के पीछे दबाव डालने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है.

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सूरत शहर में स्थित एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) में गुजरात-महाराष्ट्र ही नहीं, देश के अन्य राज्यों से किसान सब्जी और फल बेचने आते हैं. कारोबार से APMC को हर साल करीब 32 करोड़ की आय होती है. पिछले कुछ दिनों से सूरत की एपीएमसी लगातार विवाद में चल रही थी. इसकी वजह चेयरमैन रमण भाई जानी से जुड़ी थी. 

30 साल से सहकारिता में जमे थे रमण भाई

रमण भाई पर उनके ही साथी लगातार एपीएमसी में हो रही गड़बड़ियों को लेकर आरोप लगाते आ रहे थे. भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप भी उन पर लग रहा था. इस मुद्दे को लेकर रमण के खिलाफ भाजपा के कुछ नेता प्रदेश आलाकमान से शिकायतें करते रहे हैं. हालांकि, रमण भाई इन आरोपों को लेकर हाईकमान तक स्पष्टीकरण भी देते रहे. लेकिन, संगठन उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं हुआ. यही वजह है रमण भाई को 25 साल बाद सूरत एपीएमसी का चेयरमैन पद छोड़ना पड़ा. रमण यहां वाइस चेयरमैन के तौर पर 5 साल रहे. यानी कुल 30 साल महत्वपूर्ण पदों पर रहे रमण ने एपीएमसी कमेटी के सेक्रेटरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

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भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप लगाए जा रहे थे

करीब चार दशक तक सहकारिता क्षेत्र से जुड़े रहे बीजेपी नेता रमण जानी के इस्तीफे के बाद दक्षिण गुजरात की राजनीति में भूचाल-सा आ गया. इस्तीफा देते हुए रमण भाई ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार उनके ही साथी उन पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगाते आ रहे हैं लेकिन इन बातों में कोई भी सच्चाई नहीं है. जो लोग आरोप लगा रहे थे, वह किसी भी तरह से उन्हें पद से हटाना चाहते थे और आखिर वह सफल हुए हैं. 

प्रदेश अध्यक्ष पाटिल से भी मिले थे रमण भाई

बताते चलें कि रमण भाई को लेकर उनके साथी पदाधिकारियों ने प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील से भी शिकायत की थी और सीआर पाटिल ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था. यह संदेशा उनके पास गुजरात सरकार के मंत्री मुकेश पटेल और सूरत डिस्टिक बैंक के चेयरमैन नरेश भाई पटेल, संदीप देसाई लेकर आए थे. हालांकि, रमण भाई उसके बाद सीआर पाटील से मिलने गए थे और पाटिल से उनके संदेश को लेकर चर्चा की थी. रमण जानी का कहना था कि सीआर पाटिल ने इस्तीफा देने वाला संदेश भेजने की बात से इंकार कर दिया था.

रमण भाई ने गिनाईं उपलब्धियां

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रमण जानी ने बताया कि जिस वक्त उन्होंने संस्था की शुरुआत की थी, उस वक्त संस्था के पास संपत्ति करीब 2 करोड़ रुपए थी और वार्षिक टर्नओवर 3 करोड़ का था, लेकिन आज जब वह इस्तीफा दे रहे हैं तब संस्था की वार्षिक आय 32 करोड़ है और संपत्ति 305 करोड़ रुपए की है. एपीएमसी पर एक भी रुपए का कर्जा नहीं है. जबकि बचत के रूप में 50 करोड़ अभी भी मौजूद हैं. जिस तरह से आज उनके इस्तीफा को लेकर परिस्थिति उत्पन्न हुई है उससे एपीएमसी का भविष्य अंधकार में होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है. 

पार्टी के लोगों ने ही साजिश की

रमण भाई ने कहा कि जब कृषि बाजार का उद्घाटन करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे, तब भी मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. कहा गया था 300 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले की जांच भी हुई थी लेकिन ऐसा कोई भी भ्रष्टाचार सामने नहीं आया था. रमण जानी ने कहा कि वह जनसंघ से भाजपा से जुड़े हैं लेकिन सहकारिता क्षेत्र को छोड़कर कभी राजनीति नहीं की है. इसके बावजूद उन्हें पद से हटाने के लिए उनकी ही पार्टी के लोगों ने षडयंत्र रचा है. 

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इशारे में बताए साजिश रचने वालों के नाम 

रमण जानी ने षड्यंत्र के 2 ठिकाने चिह्नित किए. जिसमें से एक सूरत का सर्किट हाउस और दूसरा सूरत डिस्टिक बैंक बताया. सर्किट हाउस में षड्यंत्र रचने वालों में नाम लिए बगैर उन्होंने अपने ही सरकार के मंत्री पर आरोप लगाया. जबकि सूरत डिस्टिक बैंक में एपीएमसी में उनके साथी वाइस चेयरमैन संदीप देसाई बैठते हैं. बैंक के चेयरमैन नरेश पटेल बैठते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि रमण ने इन दोनों की तरफ इशारा किया है. हालांकि रमण जानी ने अपनी तरफ से किसी भी नेता का नाम नहीं लिया है.

मुझे धमकी दी गई, साथियों को बंधक बनाया गया

बीजेपी नेता रमण जानी ने कहा कि मुझे हटाने के लिए साथी सदस्यों को धमकाया गया है और कई लोगों को गोवा तक ले जाया गया है. उन्हें वहां बंधक बनाकर रखा गया है. उन्होंने कहा कि मुझे भी वॉट्सएप के जरिए इस्तीफा देने को लेकर धमकी दी गई थी. इसमें कहा गया था कि अगर इस्तीफा नहीं दोगे तो गलत केस में फंसा कर जेल भेज दिया जाएगा. हालांकि रमण जानी ने इस दावे के बीच किसी भी नेता का नाम नहीं लिया. 

फिलहाल, रमण भाई जानी के आरोपों ने महाराष्ट्र में सत्ता का उलटफेर ताजा कर दिया है. जिस तरह से उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत की और विधायकों को सूरत लेकर आए थे. उसके बाद गुवाहटी पहुंच गए थे. ठीक उसी तरह से बीजेपी नेता रमण जानी ने भी आरोप लगाकर राजनीति गरमा दी. शिवसेना के साथ जो महाराष्ट्र में हुआ, वही सूरत में रमण जानी के साथ भाजपा ने कर दिया, यह कहना गलत नहीं होगा.

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