राजधानी दिल्ली में हुए 'बी-20 ग्लोबल डायलॉग इन इंडिया' वर्चुअल कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पेरिस समझौते की असहमतियों को दूर करना जरूरी है. इस बात से उनका इशारा अमेरिका के इस समझौते से अलग होने की तरफ था.
उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत अपनी प्राथमिकताएं तय करेगा लेकिन जो कार्य अब तक अध्यक्ष रहते हुए अन्य देशों ने किए हैं, उसे भी वो आगे बढ़ाएगा. सुरेश प्रभु ने आगे कहा कि भारत हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से कार्य करता है और आगे भी करता रहेगा. गौरतलब है कि भारत 2022 से जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.
आरआईएस, सीआईआई और इंडियन साइंस अकादमी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वर्चुअल कांफ्रेंस में विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) राहुल छाबड़ा ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनजीर्वित करते हुए आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाए जाने की जरूरत है. साथ ही उत्पादक क्षेत्रों को भी नए सिरे से खड़ा करना होगा.
विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक प्रो.सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि आरआईएस विभिन्न पक्षकारों जैसे व्यवसाय, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री तथा सिविल सोसायटी के बीच विचारों के आदान-प्रदान से जुड़ी है. ताकि नीति निर्मातओं के लिए जी-20 स्तर पर इन्हें अमल में लाने में आसानी हो. इसी कड़ी में जी-20 डायजेस्ट का प्रकाशन भी शामिल है जिसका मकसद 2022 के भारत की अध्यक्षता के लिए उपयोगी जानकारी जुटाना है. आरआईएस के चैयरमैन मोहन कुमार ने भी वर्चुअल कांफ्रेंस में शिरकत की.
बता दें कि बी-20 जी-20 देशों का बिजनेस समुदाय है जो जी-20 देशों को नीति निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट देता है. कुछ अन्य समूह भी इसमें बने हैं जैसे टी-20 जो थिंक टैंक है. डब्ल्यू-20 जो महिलाओं का समूह है. इसी प्रकार नागरिक संगठनो का समूह सी-20, युवाओं का वाई-20, साइंस का एस-20, श्रम का एल-20, शहरों का यू-20 समह शामिल है. हर साल जी-20 की अध्यक्षता किसी एक देश को सौंपी जाती है. अभी यह सऊदी अरब के पास है तथा अगले साल इटली पास होगी.