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रामलला के ललाट पर 5 मिनट तक ठहरी रहीं सूर्य की किरणें, अयोध्या में दिव्य सूर्याभिषेक देखने उमड़े लोग

रामलला के सूर्याभिषेक का ये नजारा बेहद अद्भुत रहा. मंत्रोच्चारण के बीच रामलला का ललाट सूर्य की किरणों से जगमग हो उठा. इस दौरान मंदिर में बहुत दिव्य और भव्य नजारा था. इस दौरान मंदिर में जलसैलाब उमड़ा हुआ था और रामभक्तों में सूर्याभिषेक को लेकर खासा उत्साह था.

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रामलला का सूर्याभिषेक
रामलला का सूर्याभिषेक

अयोध्या के राम मंदिर में बुधवार को रामनवमी के मौके पर रामलला का सूर्याभिषेक हुआ. दोपहर 12.16 बजे आस्था और विज्ञान के संगम के जरिए सूर्याभिषेक हुआ. रामलला के सूर्याभिषेक का ये नजारा बेहद अद्भुत रहा. मंत्रोच्चारण के बीच रामलला का ललाट सूर्य की किरणों से जगमग हो उठा.

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इस दौरान मंदिर में बहुत दिव्य और भव्य नजारा था. इस दौरान मंदिर में जलसैलाब उमड़ा हुआ था और रामभक्तों में सूर्याभिषेक को लेकर खासा उत्साह है.

सूर्याभिषेक की ये प्रक्रिया भी बेहद दिलचस्प रही, सूर्य की रोशनी मंदिर की तीसरी मंजिल पर लगे पहले दर्पण पर पड़ी, जो यहां से परावर्तित होकर पीतल के पाइप में गई. पीतल के पाइप में लगे दूसरे दर्पण से टकराकर सूर्य की रोशनी 90 डिग्री पर पुनः परावर्तित हो गई. फिर पीतल के पाइप से जाते हुए यह किरण तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरी और लंबे पाइप के गर्भगृह वाले सिरे पर लगे शीशे से टकराई. गर्भगृह में लगे शीशे से टकराने के बाद किरणों ने सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाया और लगातार पांच मिनट तक प्रकाशमान रही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय असम के नलबाड़ी में हैं. उन्होंने वहां एक जनसभा को संबोधित किया. लेकिन जनसभा को संबोधित करने के बाद वह ऑनलाइन माध्यम से इस अद्भुत पल के गवाह बने. उन्होंने देश और दुनिया में फैले रामभक्तों से इस अद्भुत पल का गवाह बनने का आह्वान किया.
 

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रामलला का विशेष परिधान और 56 तरह का भोग

इस मौके पर रामलला को विशेष तौर पर तैयार किया गया था. उनके लिए विशेष परिधान डिजाइन की गई थी, जो पीले पीतांबर रंग की थी. इसमें खादी और हैंडलूम का इस्तेमाल किया गया है. इस परिधान को तैयार करने में वैष्णो संप्रदाय के प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही गोल्ड और सिल्वर धागों का इस्तेमाल हुआ है. रामलला के वस्त्रकार मनीष त्रिपाठी का कहना है कि रामलला के परिधान को तैयार करने में 20 से 22 दिन का समय लगता है. रामलला के वस्त्रों में मखमली कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है ताकि अंदर से सॉफ्ट रहे. रामलला की प्रतिमा को दिव्य आभूषणों से सजाया गया है. इस दौरान रामलला के विशेष परिधान भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. 

रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि अलग-अलग दिन के हिसाब से रामलला के लिए अलग-अलग रंग के परिधान निर्धारित किए गए हैं. सोमवार को रामलला की प्रतिमा को सफेद रंग के परिधान पहनाए जाते हैं. मंगलवार को गुलाबी, बुधवार को हरे, गुरुवार को पीले, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीले और रविवार को लाल रंग के परिधान तय किए गए हैं. 

राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया था कि रामलला को 56 तरह का भोग चढ़ाया गया है. यह भोग भक्तों को भी दिया जाएगा.

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सुबह 3.30 से रात 11 बजे तक भक्त कर सकेंगे रामलला के दर्शन

इससे पहले रामनवमी के मौके पर राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए थे. रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे. ऐसे में मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई है. राम भक्तों में रामलला के दर्शन को लेकर खासा उत्साह है. भक्तों ने बड़े पैमाने पर रामनवमी के मौके पर सरयू नदी में आस्था और श्रद्धा की डुबकी लगाई. रामनवमी के मौके पर भक्तों ने बुधवार तड़के ही राम मंदिर पहुंचना शुरू कर दिया था. इस दौरान जयश्रीराम के जयकारे से आसमान गूंज उठा.

कैसा है राम मंदिर?

अयोध्या में राम मंदिर को पारपंरिक नागर शैली में बनाया गया है. मंदिर 2.7 एकड़ में बना है. ये तीन मंजिला है. इसकी लंबाई 380 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर का प्रवेश द्वार 'सिंह द्वार' है. राम मंदिर में कुल 392 पिलर हैं. गर्भगृह में 160 और ऊपर में 132 खंभे हैं. मंदिर में 12 प्रवेश द्वार होंगे. सिंह द्वार के जरिए जैसे ही मंदिर में प्रवेश करेंगे, सामने आपको नृत्य मंडप, रंग मंडप और गूढ़ मंडप भी दिखेगा. मंदिर परिसर में सूर्य देवता, भगवान विष्णु और पंचदेव मंदिर भी बन रहा है.

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