बांग्लादेशी नागरिकों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत की नागरिकता दिलाकर विदेश भेजने वाले सिंडिकेट का फंडाफोड़ किया गया है.
लंदन से लेकर साउथ अफ्रीका तक भेजने वाले सिंडिकेट के लिए यह एक मुनाफे का धंधा बन चुका था. महज 1 साल के अंदर इस धंधे के जुड़े एक सरगना ने करीब 30 लोगों को विदेश भेजा और अब तक की जांच में इस काम में 10 करोड़ रुपये के लेनदेन का सबूत मिला है.
फर्जी दस्तावेजों से भारत की नागरिकता और उस दस्तावेज में हिंदू नाम लिखकर ऐसे लोगों को लंदन, दुबई, साउथ अफ्रीका और इटली भेजने का काम किया जाता था. इस खेल में मानव तस्करी से जुड़े लोगों के बीच करोड़ों रुपये की लेन-देन की जानकारी मिली है.
बांग्लादेशी नागरिक हो या फिर रोहिंग्या जिसे भी ज्यादा पैसा कमाने के लिए विदेश जाना होता उससे गिरफ्तार किए गए मिथुन मंडल के सिंडिकेट के लोग संपर्क करते थे और फिर 5 से 7लाख रुपये लेकर भारतीय नागरिक बनाकर विदेश भेज देते थे.
बीते 12 अक्टूबर को यूपी एटीएस ने इस ह्यूमन ट्रैफिकिंग के सरगना मिथुन मंडल को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो इस सिंडिकेट के कारनामों का काला चिट्ठा खुलने लगा.
जांच में सामने आया कि इस एक गैंग के खाते में लाखों नहीं करोड़ों रुपये का लेन-देन हो रहा था. यूपी एटीएस अब तक इस सिंडिकेट के 21 लोगों को गिरफ्तार कर लगभग 10 करोड़ के लेन-देन का ब्यौरा खंगालने में जुट हुई है.
यूपी एटीएस को जांच के दौरान करीब 50 से ज्यादा ऐसे बैंक अकाउंट मिले जो हिंदू नामों से खुले थे जिनमें लेन-देन भी हुआ लेकिन खाता धारक का नाम पता फर्जी निकला. सिंडिकेट में महज 1 साल के अंदर लगभग 10 करोड रुपये का लेनदेन किया गया. ये लेनदेन बांग्लादेश से लेकर पश्चिम बंगाल और फिर लंदन, दुबई और साउथ अफ्रीका तक में हुई.
यूपी एटीएस अब तक मिथुन मंडल गैंग के ही सिंडिकेट की जांच में करोड़ों के लेनदेन का पता लगा चुकी है. एटीएस के अफसरों को शक है मिथुन मंडल के जैसे लगभग दर्जनभर और भी गैंग है जो इस कारोबार में जुड़े हो सकते हैं.
महज 1 साल के अंदर करोड़ों की कमाई वाले इस धंधे के सरगना की चाहत ऐशो-आराम वाली जिंदगी थी. महंगे होटलों में रहना, खाना, महंगी शराब पीना, क्लब में जाना यह सब उसकी जिंदगी का हिस्सा था. (इनपुट - संतोष कुमार)
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