मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के पीछे का एक बड़ा नाम, तहव्वुर हुसैन राणा, अब आखिरकार भारत में है. ये वही राणा है जिस पर मुंबई में हुए सबसे भयावह आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप है, जिसमें 160 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे.
लंबे समय से अमेरिका में बंद राणा को भारत लाने की कोशिशें जारी थीं और अब 10 अप्रैल 2025 को अमेरिकी मार्शल्स ने उसे दिल्ली लाकर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के हवाले कर दिया. इसके बाद कोर्ट में पेशी के दौरान उसे 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया गया है, जहां उससे पूछताछ की जा रही है.
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राणा पर भारत में कुल 10 गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज है. इन धाराओं में हत्या, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होना, और भारत में साजिश रचना जैसे संगीन आरोप शामिल हैं. जांच एजेंसियों को पूरी उम्मीद है कि राणा की गिरफ्तारी और पूछताछ से 26/11 हमले से जुड़ी कई अहम जानकारियां सामने आएंगी. पाकिस्तान की भूमिका, राणा के संपर्क में रहे अन्य लोगों की पहचान और हमले की पूरी साजिश कैसे रची गई - ये सभी पहलू अब जांच के केंद्र में हैं. इस गिरफ्तारी को भारत की कानूनी और कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.
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भारत और अमेरिका के बीच 1997 में प्रत्यर्पण संधि साइन हुई थी. इस संधि के तहत दोनों देश गंभीर अपराधों में शामिल भगोड़े आरोपियों को एक-दूसरे को सौंप सकते हैं, बशर्ते कोर्ट इसकी मंजूरी दे. तहव्वुर राणा को भारत लाना इसी संधि की बड़ी सफलता है. अमेरिका की अदालत ने लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद राणा के प्रत्यर्पण की इजाज़त दी, और अब वह भारतीय एजेंसियों की हिरासत में है. यह कदम दिखाता है कि भारत अब उन अपराधियों को भी नहीं छोड़ने वाला, जो सालों से विदेशों में छिपे बैठे हैं.
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10 दिसंबर 2024 को संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2019 से लेकर 2024 तक भारत ने कुल 178 प्रत्यर्पण अनुरोध अलग-अलग देशों को भेजे थे. इनमें आतंकवाद, हत्या, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों में शामिल आरोपी थे. इनमें से 23 को भारत लाने में सफलता मिली. इसके अलावा अमेरिका को विशेष रूप से अब तक 65 ऐसे मामलों में प्रत्यर्पण के अनुरोध भेजे गए हैं, जो अभी विचाराधीन हैं. इन सभी मामलों में तहव्वुर राणा का मामला सबसे अहम माना जा रहा है, क्योंकि वह न सिर्फ भारत के खिलाफ एक बड़े आतंकी हमले में शामिल था, बल्कि पाकिस्तान के साथ उसके गहरे रिश्ते भी जांच का विषय हैं.
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भारत ने अब तक 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की है और 12 देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्था बनाई है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, रूस, फ्रांस, यूएई, नेपाल, सऊदी अरब, जर्मनी, बांग्लादेश जैसे कई अहम देशों के साथ भारत की कानूनी समझौते हैं, ताकि कोई भी भगोड़ा अपराधी कानून से बच न सके.
खास बात यह भी है कि इटली और क्रोएशिया के साथ भारत की जो प्रत्यर्पण व्यवस्था है, वह सिर्फ नशीले पदार्थों और मादक दवाओं की अवैध तस्करी से जुड़े मामलों तक सीमित है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत, इटली और क्रोएशिया तीनों 1988 की संयुक्त राष्ट्र की उस संधि के सदस्य हैं जो ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस की तस्करी को रोकने के लिए बनाई गई थी. इसलिए इन दोनों देशों से प्रत्यर्पण सिर्फ उन्हीं मामलों में हो सकता है जो इस संधि के दायरे में आते हैं.
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अब तक इन बड़े आतंकियों और अपराधियों को भारत लाया गया है:
तहव्वुर राणा: 64 साल का राणा, 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साज़िशकर्ताओं में से एक डेविड हेडली का करीबी था. उसे अमेरिका से भारत लाया जा रहा है.
छोटा राजन: दाऊद इब्राहिम का करीबी और अंडरवर्ल्ड डॉन. उसे इंडोनेशिया से भारत लाया गया. इसे डी-कंपनी के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में भारत की बड़ी कामयाबी माना गया.
अबू सालेम: 1993 मुंबई ब्लास्ट का मुख्य आरोपी. हत्या और वसूली जैसे मामलों में भी आरोपी रहा. 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया.
क्रिश्चियन मिशेल: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाले में बिचौलिया. 2018 में UAE से भारत लाया गया. इसे रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत की बड़ी सफलता माना गया.
रवि पुजारी: अंडरवर्ल्ड डॉन रवि पुजारी को साउथ अफ्रीका में पकड़ा गया था. 2020 में सेनेगल से भारत लाया गया. उस पर 200 से ज़्यादा केस दर्ज हैं.
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फतेह सिंह: दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर नीरज बवाना का करीबी साथी फतेह सिंह को 2023 में थाईलैंड से भारत प्रत्यर्पित किया गया था. वह हत्या, वसूली और अन्य गंभीर आपराधिक मामलों में वांछित था. फतेह सिंह को दिल्ली के संगठित अपराध नेटवर्क में एक अहम कड़ी माना जाता था.
राजीव सक्सेना: अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से जुड़े आरोपी राजीव सक्सेना को 2019 में यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) से भारत लाया गया था. वह मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और अवैध पैसों को इधर-उधर पहुंचाने के आरोपों का सामना कर रहा है. उसकी वापसी के बाद इस घोटाले की वित्तीय लेन-देन की जटिल परतें सामने आने लगीं, जिससे जांच एजेंसियों को बड़ी मदद मिली.
एनआईए की जांच अब तहव्वुर राणा पर केंद्रित है. उम्मीद की जा रही है कि पूछताछ से 26/11 हमले की प्लानिंग से लेकर, पाकिस्तान में बैठे सरगनाओं की भूमिका, और राणा के भारतीय नेटवर्क से जुड़े कई रहस्य सामने आएंगे. यह पूछताछ कई नए नाम उजागर कर सकती है, जिनकी पहचान अब तक नहीं हो सकी थी.