आय से अधिक संपत्ति के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी को तीन साल की कैद और 50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. सजा के बाद पोनमुडी विधायक के रूप में अयोग्य हो गए और मंत्री पद गवां दिया है. छह महीने पहले ही इस मामले में वेल्लोर की एक कोर्ट ने मंत्री और उनकी पत्नी को बरी कर दिया था. स्थानीय कोर्ट का कहना था कि इस मामले में पर्याप्त सबूत नहीं हैं. बाद में हाई कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया था.
वहीं, हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंत्री पोनमुडी और उनकी पत्नी पी विशालाक्षी ने कोर्ट में अपना मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया और तर्क दिया कि मामला बहुत पुराना है और अब वो 73 साल के हो गए हैं. उनकी पत्नी 60 साल की हैं. कपल ने न्यूनतम सजा का अनुरोध किया था. HC ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया और मंत्री के पोनमुडी को तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने उन पर और उनकी पत्नी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. मद्रास हाई कोर्ट द्वारा सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित किया गया है, जिससे दोषियों को ऊपरी अदालत में अपील करने की अनुमति मिल गई है.
आय से अधिक संपत्ति का मामला
पोनमुडी और उनकी पत्नी के खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने साल 2002 में मामला दर्ज किया था. तब तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार 1996-2001 तक सत्ता में थी. आरोप लगाया गया था कि आय के ज्ञात स्रोतों से अलग दोनों की आय 1.4 करोड़ रुपये है. जांच में डीवीएसी ने दावा किया कि पोनमुडी ने 1996-2001 तक राज्य सरकार में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अवैध संपत्ति अर्जित की है.
'वेल्लोर कोर्ट ने सबूतों के अभाव में कर दिया था बरी'
इससे पहले 28 जून को वेल्लोर की एक प्रमुख सत्र अदालत ने पोनमुडी और उनकी पत्नी को मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा है. वेल्लोर के प्रधान जिला न्यायाधीश एन वसंतलीला ने मामले में सुनवाई की थी और सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय द्वारा दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु पोनमुडी और उनकी पत्नी को बरी कर दिया था. उसके बाद इस मामले को मद्रास हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और अगस्त में पुनर्विचार करने का फैसला किया.
क्या कहा कोर्ट ने...
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हाई कोर्ट ने इस मामले में मंत्री और उनकी पत्नी को पहले ही दोषी ठहराया था और गुरुवार को सजा सुनाई. मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एनआर एलांगो ने अदालत से उन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर करने में सक्षम बनाने के लिए छुट्टी देने और सजा को निलंबित करने की अपील की. जज ने 30 दिन की छुट्टी दे दी और सजा भी 30 दिन के लिए निलंबित कर दी. जज ने कहा, निलंबन की अवधि पूरी होने पर उन्हें विल्लुपुरम में ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा. कानूनी विशेषज्ञों ने कहा, पोनमुडी जेल की सजा के बाद विधायक पद से अयोग्य हो गए हैं और उन्होंने मंत्री पद भी खो दिया है.