कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर कावेरी नदी के पानी को लेकर ठनती नजर आ रही है. एक तरफ तमिलनाडु सरकार की मांग है कि 10 दिनों के लिए 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाए तो वहीं कर्नाटक सरकार ने 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया है. इसको लेकर मामले सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है. तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने मांग की है कि डेल्टा जिलों में फसलों को बचाने के लिए 10 दिनों के लिए कावेरी नदी से 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना चाहिए. दरअसल, त्रिची, तंजावुर, तिरुवरूर, नागपट्टिनम, अरियालुर, कुड्डालोर और पुदुक्कोट्टई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सांबा या धान की खेती जुलाई के अंत में शुरू होती है और जनवरी में कटाई की जाएगी. ये क्षेत्र पूरी तरह से कावेरी के पानी पर निर्भर हैं.
मंत्री दुरईमुरुगन ने कावेरी जल नियामक प्राधिकरण की आलोचना करते हुए दावा किया कि प्राधिकरण अपना काम सही से नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम बस फसलों को बचाना चाहते हैं. मौसमी बारिश कम होने के कारण पानी की कमी होती है. वहीं अधिक बारिश होने पर कितना पानी छोड़ा जाए, इसकी भी गणना होती है. इसी तरह हम कमी के दौरान भी पानी के बंटवारे का एक निश्चित आधार चाहते हैं. समिति ने हमारी मांग के मुकाबले 15 दिनों के लिए 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने की सिफारिश की है, जो कि फसलों को बचाने के लिए 10 दिनों के लिए 27000 क्यूसेक है. कावेरी जल अधिकारी सुस्त हैं."
यह भी पढ़ें: कावेरी नदी का 140 साल पुराना वो विवाद, जिसने तमिलनाडु-कर्नाटक में फिर कलह करवा दी
उधर, तमिलनाडु की 24 हजार क्यूसेक पानी की मांग को लेकर कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि वह इस बारे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य कानूनी विशेषज्ञों से बात करेंगे. प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का प्रभार संभालने वाले शिवकुमार ने कहा कि सीडब्ल्यूआरसी ने हर दिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है, जबकि तमिलनाडु ने हर दिन 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की थी. हमने अपनी स्थिति (सीडब्ल्यूआरसी को) बता दी है. तकनीकी समिति ने भी मामला प्रस्तुत किया है. हमारे अधिकारियों ने भी सटीक स्थिति बताई है. हम अपने कानूनी विशेषज्ञों से बात करने जा रहे हैं. मैं उनसे बात करूंगा.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक को पहले प्रतिदिन 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया था, जिसे कम वर्षा के कारण घटाकर 5,000 क्यूसेक कर दिया गया है. यह पूछे जाने पर कि क्या पानी छोड़ा जा रहा है, शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक को आज ही पानी छोड़ने के लिए कहा गया है, लेकिन सरकार को इसके फायदे और नुकसान भी देखने होंगे. हम अपनी कानूनी टीम पर निर्भर हैं. हम उनके साथ चर्चा करेंगे और निर्णय लेंगे. मैंने पानी छोड़ने के बारे में बात नहीं की है क्योंकि हमें यह (आदेश) आज मिला है."
(पीटीआई के इनपुट के साथ)