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'Tata Most welcome' सिंगूर आंदोलन के 13 साल बाद बोले ममता बनर्जी के मंत्री

सिंगूर में 2006 के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन चलाकर ममता बनर्जी राष्ट्रीय फलक पर आईं और पांच साल बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने वामपंथी शासन को उखाड़कर फेंक दिया. 

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो-पीटीआई)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'बंगाल में निवेश के लिए टाटा का स्वागत है'
  • 'सिंगूर से ममता ने ही टाटा को किया था बाहर'
  • सिंगूर में नैनो कार प्लांट लगाने वाली था टाटा

सिंगूर आंदोलन के 13 साल बाद पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्था चटर्जी ने एक ऐसा बयान दिया है. जिसका बंगाल की राजनीति में अहम असर पड़ने वाला है. पार्था चटर्जी ने कहा कि टाटा औद्योगिक समूह का बंगाल में निवेश के लिए बहुत स्वागत है. बंगाल के उद्योग और आईटी मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा कि राज्य में बड़े निवेश के लिए टाटा समूह से बात चल रही है.  

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बता दें कि सिंगूर में 2006 के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन चलाकर ममता बनर्जी राष्ट्रीय फलक पर आईं और पांच साल बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने वामपंथी शासन को उखाड़कर फेंक दिया. पार्था चर्टजी ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार चाहती है कि राज्य में कोई बड़ा उद्योगपति 2 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना करे.  

'हमारी दुश्मनी टाटा ग्रुप से नहीं'

सिंगूर आंदोलन के लिए टाटा को जिम्मेदार न ठहराते हुए उद्योग मंत्री ने कहा कि हमारी उनकी साथ कभी भी कोई दुश्मनी नहीं थी, न हीं हमारी लड़ाई उनके साथ थी. वे देश और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित घरानों में से एक हैं. इस हंगामें के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.  

पार्था चटर्जी ने कहा, "दिक्कत वाम मोर्चे की सरकार और इनकी जबरन भूमि अधिग्रहण नीति के साथ थी, टाटा समूह का पश्चिम बंगाल में निवेश करने के लिए हमेशा स्वागत है." उन्होंने कहा कि नमक से लेकर स्टील की बिजनेस में सक्रिय टाटा घराने ने कोलकाता में अपना सेंटर बनाने में रुचि दिखाई है, जहां कंपनी के दफ्तर होंगे. 

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उद्योग मंत्री ने कहा कि हमारे यहां टाटा की मौजूदगी पहले से ही है. यहां टाटा मेटालिक्स है, टाटा सेंटर है और टीसीएस है. लेकिन यदि वे मैन्युफैक्चरिंग या फिर किसी और सेक्टर में बड़ा निवेश लेकर आना चाहते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है. हमारे आईटी सचिव ने कहा है कि वे कोलकाता में टाटा सेंटर स्थापित करने को लेकर रूचि दिखा रहे हैं. 

सिंगूर आंदोलन का इतिहास

सिंगूर आंदोलन 2006 में शुरू हुआ था. टाटा ग्रुप में इस स्थान पर दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने की फैक्ट्री लगाना चाह रहा था. तब बंगाल में वाम दलों की सरकार थी. लेफ्ट फ्रंट सरकार ने इस स्थान पर किसानों की 997 एकड़ जमीन अधिगृहित की और इसे कंपनी को सौंप दिया.  

ममता बनर्जी तब विपक्ष की नेता थी. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ 26 दिनों का भूख हड़ताल बुलाया और ममता के शब्दों में जबरन ली 347 एकड़ जमीन की वापसी की मांग की. इस बाबत राज्य सरकार और ममता के बीच कई बार बातचीत हुई लेकिन मुद्दा सुलझाया नहीं जा सका. 

इस दौरान राज्य में जमकर हंगामा हुआ. आखिरकार 2008 में टाटा सिंगूर से निकलकर गुजरात के साणंद चला गया. 2016 में किसानों से ली गई जमीन को ममता सरकार ने वापस किसानों को सौंप दे दिया. 

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पार्था चटर्जी ने कहा कि औद्योगीकरण और नौकरी पैदा करना अभी राज्य सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ये एक चुनौती है क्योंकि कोरोना की वजह से देश-दुनिया आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं है. लेकिन हमारी प्राथमिकता है दो ऐसे मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की है जो नौकरी पैदा कर सके. 

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