बॉलीवुड फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' चर्चा में है. ये फिल्म 90 के दशक में कश्मीर घाटी से हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी है. इस फिल्म के आने के बाद कश्मीरी पंडितों के लिए सरकार ने क्या-क्या किया? इसे लेकर भी बहस शुरू हो गई है. बीजेपी हो या कांग्रेस सबके अपने-अपने दावे हैं. कश्मीरी पंडितों के लिए सरकारों ने क्या किया, इसके लिए हमने समय-समय पर संसद में हुए सवाल-जवाब खंगाले.
1. कितनी नौकरियां दीं?
2015 में मोदी सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज 2015 शुरू किया. इसके अंतर्गत 3 हजार सरकारी नौकरियां निकाली गईं. फरवरी 2022 में सरकार ने राज्यसभा में बताया कि इस पैकेज के जरिए अब तक 1 हजार 739 प्रवासियों को नौकरी दी जा चुकी है, जबकि 1 हजार 98 प्रवासियों का चयन किया गया है. इसके लिए सरकार ने 1080 करोड़ रुपये का फंड रखा है.
इसके अलावा 2008 में मनमोहन सरकार ने भी नौकरियों के लिए पैकेज जारी किया था. इसके तहत 3 हजार सरकारी नौकरियां निकाली गईं. गृह मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 2 हजार 461 कश्मीरी प्रवासियों को नौकरी दी गई थी.
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2. आवास के लिए क्या किया?
राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने फरवरी 2022 में बताया था कि कश्मीरी प्रवासियों को राज्य में आवास देने के मकसद से 920 करोड़ रुपये की लागत से घाटी में 6 हजार ट्रांजिट आवास बनाए जा रहे हैं. इन आवासों में उन प्रवासियों को रखा जाएगा जो सरकारी नौकरी के लिए घाटी में लौटकर आएंगे. उन्होंने ये भी बताया था कि पिछले 5 साल में 610 प्रवासियों को उनकी जमीन वापस दिलाई गई.
कश्मीरी प्रवासियों की वापसी के लिए मनमोहन सरकार ने 2004 और 2008 में दो पैकेज जारी किए. 2004 में जो पैकेज जारी किया गया, उससे जम्मू के 4 इलाकों में दो कमरों के 5,242 मकान बनाए गए. इसके अलावा कश्मीर के बड़गाम जिले के शेखपोरा में 200 फ्लैट भी बनाए गए. गृह मंत्रालय के मुताबिक, इन 200 फ्लैट्स में से 31 फ्लैट उन स्थानीय प्रवासियों को दिए गए, जो घाटी में ही अपना घर छोड़कर दूसरी जगह चले गए थे.
3. पुनर्वास के लिए क्या किया?
घाटी से हजारों परिवारों ने पलायन किया था, लेकिन लौटने वाले कुछ लोग ही हैं. 17 मार्च 2021 को राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने बताया था कि पिछले कुछ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए 3,800 कश्मीरी प्रवासी घाटी वापस लौटे हैं. इससे पहले दिसंबर 2011 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि घाटी में किसी भी कश्मीरी प्रवासी परिवार की वापसी नहीं हुई.
4. कितनी आर्थिक मदद दी?
घाटी से जितने परिवारों ने पलायन किया, उनमें से ज्यादातर जम्मू में जाकर बस गए. हालांकि, हजारों प्रवासी दिल्ली-एनसीआर और बाकी देश के अलग-अलग हिस्सों में बसे हैं. 17 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि इन प्रवासी परिवारों को हर महीने 13 हजार रुपये की नकद राशि दी जाती है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, कश्मीरी प्रवासियों को हर महीने 9 किलो चावल प्रति व्यक्ति, 2 किलो आटा प्रति व्यक्ति और 1 किलो शक्कर हर परिवार दी जाती है.
5. कितने कश्मीरी पंडितों ने किया था पलायन?
1990 में जब घाटी में आतंकवाद का दौर शुरू हुआ तो कश्मीरी पंडितों को उनकी जगह से भगा दिया गया. इसी साल फरवरी में सरकार ने राज्यसभा में बताया कि ऐसे करीब 44 हजार 684 कश्मीरी प्रवासी परिवार हैं, जिनमें 1 लाख 54 हजार 712 लोग शामिल हैं.