न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने किसान आंदोलन और 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की कवरेज को लेकर वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कड़ी निंदा की है. एनबीए ने वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है.
एनबीए का मानना है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों दिल्ली की तमाम सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को स्वतंत्र, निष्पक्ष, संतुलित और तर्कसंगत तरीके से कवर कर रहे हैं. एनबीए ने कहा कि किसी एक घटना की रिपोर्टिंग को पत्रकारों की हिंसा भड़काने की मंशा के तौर पर अथवा एक अपराध के रूप में देखना, संदेशवाहक को जिम्मेदार ठहराने जैसा है.
राजद्रोह, राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने संबंधी प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गईं हैं, जिसे लेकर भी एनबीए ने चिंता जाहिर की है. एनबीए ने कहा कि पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए उनके खिलाफ राजद्रोह जैसे कानूनों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना अपने लोकतंत्र के सिद्धांतों को नकारना है, जो बिना भय या पक्षपात के न्यूज मीडिया को किसी घटना को रिपोर्ट करने के अधिकारों को मान्यता देता है. आजाद प्रेस के कामकाज को बाधित करने के लिए राजद्रोह जैसे कानूनों का भी तेजी से इस्तेमाल बढ़ा है. पत्रकारों को निशाना बनाना प्रेस की आजादी पर हमला है, और यह हमारे लोकतंत्र के स्वतंत्र प्रहरी के रूप में अपने पत्रकारीय कर्तव्यों को निभाने की मीडिया की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
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हर शख्स को शिकायत करने का हक है. लेकिन सरकार (स्टेट) मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका और संविधान में मिली बोलने की आजादी को बेहतर तरीके से समझती है. लिहाजा, उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस वापस ले लिए जाएं.
एनबीए की मांग है कि दर्ज एफआईआर रद्द की जाएं और बिना किसी डर-भय के पत्रकारों को अपना पेशेवर काम करने दिया जाए.