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पिछले 71 दिनों में दो मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. एक हादसे में तो स्क्वॉड्रन का कमांडिंग अफसर बच गया. लेकिन दूसरे मामले में ऐसा नहीं हो पाया. इस हादसे की वजह से एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. आज हुई मिग दुर्घटना में ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की मौत हो गई. ग्वालियर एयरबेस पर प्रशिक्षण के लिए जाते समय विमान मिग-21 बाइसन विमान क्रैश हो गया. ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता लड़ाकू ट्रेनिंग मिशन पर थे और वह ऐसी स्थिति में फंस गए कि विमान से बाहर नहीं आ सके. हालांकि विमान दुर्घटनाग्रस्त क्यों हुआ, इसकी कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी होगी लेकिन व्यंग्य बेहद दुखद है.
दिवंगत ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता पहले भारतीय वायुसेना के रणनीति और वायु संयोजन विकास प्रतिष्ठान (TCDE) में तैनात थे. वह पिछले महीने ही राजस्थान में फ्रंटलाइन मिग-21 स्क्वॉड्रन के कमांडिंग अफसर का चार्ज संभालने वाले थे. लेकिन जनवरी में सूरतगढ़ में मिग-21 फाइटर जेट के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण ऐसा नहीं हुआ. इस हादसे में स्क्वॉड्रन के ग्रुप कैप्टन नितिन नायल विमान से निकलने में सक्षम रहे थे.
पिछले दो महीनों में इसी फ्रंटलाइन मिग-21 स्क्वॉड्रन के दो इनबाउंड और आउटगोइंग कमांडिंग अफसरों के साथ हुई दुर्घटना इस विवाद की गाथा में सबसे नई है. इन दो हादसों से पहले पिछले साल अगस्त में एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया ने सूरतगढ़ में मिग-21 बाइसन विमान में उड़ान भरी थी.
किसी जमाने में ये विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते थे. इनमें से चार स्क्वॉड्रन बचे हुए हैं. इनकी देखभाल और अपग्रेड भले ही किया गया हो लेकिन ये विमान न तो जंग के लिए और न ही उड़ान के लिए फिट हैं. बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद मिग-21 बाइसन विमान ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के छक्के छुड़ा दिए थे. लेकिन लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे इन विमानों, जिसमें कई पायलट्स जान भी गंवा चुके हैं, को अब जल्द से जल्द हटाने का वक्त आ गया है.
भारतीय वायुसेना को अब जल्दी ही स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों का पहला पूर्ण स्क्वॉड्रन मिल जाएगा. वायुसेना ने 100 और तेजस विमानों के लिए डील साइन की है, जिसमें से कई उन्नत किस्म के हैं. इसके बाद वायुसेना मिग-21 फाइटस जेट्स को अलविदा कहने की स्थिति में जरूर होगी. हालांकि वायुसेना ने लगातार कहा है कि उसने इन विमानों को जंग के लिए तैयार रखने में कोई समझौता नहीं किया है, भले ही ये कितने ही पुराने हों. वायुसेना 1960 से मिग-21 विमानों का इस्तेमाल कर रही है. उड़ान के घंटों के असली आंकड़ों और दुर्घटनाओं के अलावा कई अन्य चुनौतियों से भी जूझना पड़ता है. जैसे क्वॉलिटी स्पेयर्स की उपलब्धता, एचएएल द्वारा मिग -21 के लाइसेंस निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण और विमान की उम्र तो एक फैक्टर है ही.
तथ्य यह भी दिए जाते हैं कि अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू के आने के बाद मिग-21 विमानों को रिटायर कर दिया जाएगा, लेकिन यह तथ्य भी ज्यादा वजनदार नजर नहीं आता. साल 2019 और 2020 की घटनाओं के बाद से यह बात तो साफ हो गई है कि भारत के एयरस्पेस और सिक्योरिटी के लिए इस समय करगिल युद्ध के बाद विश्वसनीय हवाई योद्धा की जरूरत सबसे ज्यादा खल रही है.