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कुवैत अग्निकांड में मरने वाले 45 भारतीयों के शव लेकर कोच्चि पहुंचा एयरफोर्स का विमान

कुवैत अग्निकांड जान गंवाने वाले 45 भारतीयों के शव भारत की धरती पर पहुंच चुके हैं. एयरफोर्स का विशेष विमान उनके शवों को लेकर केरल के कोच्चि में लैंड हो चुका है. अब इन शवों को उनके परिवारों के हवाले कर दिया जाएगा.

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भारतीय वायुसेना के इस प्लेन से ही भारतीय नागरिकों के शव कोच्चि लाए गए हैं. (Photo:Agency)
भारतीय वायुसेना के इस प्लेन से ही भारतीय नागरिकों के शव कोच्चि लाए गए हैं. (Photo:Agency)

कुवैत अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीयों के शव लेकर भारतीय वायुसेना (IAF) का विमान केरल के कोच्चि एयरपोर्ट पर लैंड हो चुका है. बता दें कि कुवैत (Kuwait) के मंगाफ शहर में बहुमंजिला इमारत में लगी भीषण आग में कुल 45 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी.

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जान गंवाने वाले भारतीयों के शवों को देश लाने के लिए भारतीय वायुसेना का सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान रवाना हुआ था, जो कोच्चि में लैंड हो चुका है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन खुद कोच्चि इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे हैं. यहां कुछ शवों को उतारकर प्लेन शाम 4 बजे के आसपास दिल्ली पहुंचेगा.

मृतकों में केरल के नागरिक सबसे ज्यादा

कुवैत अग्निकांड में मारे गए लोगों में से सबसे ज्यादा लोग (23) केरल के नागरिक हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु (7) है. इसके अलावा 3-3 नागरिक उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के भी मारे गए हैं. ओडिशा के भी दो लोग इस अग्निकांड की वजह से मौत के मुंह में समा गए. इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, बंगाल, पंजाब और हरियाणा के भी एक-एक नागरिक की मौत हुई है.

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किस राज्य के कितने लोग मारे गए

क्रमांक राज्य संख्या
1. केरल   23
2. तमिलनाडु 7
3.  आंध्र प्रदेश 3
4.  उत्तर प्रदेश     3
5. ओडिशा     2
6. महाराष्ट्र     1
7. कर्नाटक     1
8. बिहार 1
9. झारखंड 1
10. बंगाल 1
11. पंजाब 1
12. हरियाणा 1

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कब-कैसे हुआ था हादसा?

कुवैत के मीडिया के मुताबिक आग रसोई में लगी थी, अधिकांश मौतें धुएं के कारण हुईं. 12 जून (बुधवार) की सुबह 4.30 बजे अल-अहमदी गवर्नरेट के अधिकारियों ने हादसे की सूचना दी थी. इसका मतलब आग अल सुबह लगी थी, जिस वक्त लोग नींद की आगोश में थे. कुवैती मीडिया के मुताबिक निर्माण कंपनी NBTC ग्रुप ने 195 से ज्यादा श्रमिकों के रहने के लिए बिल्डिंग किराए पर ली थी, जिनमें रहने वाले अधिकांश श्रमिक केरल, तमिलनाडु और उत्तरी राज्यों के थे.

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