देश के शिक्षा मंत्रालय के बाहर लिखा है. सा विद्या या विमुक्तये. अर्थ, मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली विद्या. देश में परीक्षा कराने वाली सबसे बड़ी एजेंसी NTA के दो चेहरों ने इस प्राचीन वैदिक सूक्ति का अर्थ ही बदल कर रख दिया है. इनके नाम हैं NTA के चेयरपर्सन प्रदीप कुमार जोशी और सुबोध कुमार सिंह, डायरेक्टर जनरल एनटीए. इन दोनों की अगुवाई वाली परीक्षा एजेंसी NTA देश में मेडिकल छात्रों के दाखिले से जुड़ी परीक्षा NEET कराने की तारीख से आरोपों के कटघरे में है.
NTA पर क्या -क्या हैं आरोप?
आरोप है पेपर लीक का, पेपर लीक के दावों पर ध्यान न देने का, परीक्षा ढंग से न कराने का और मनमानी, चोरी-छिपे फैसले लेने का आरोप. इससे भी बड़ा आरोप है तरीके से ग्रेस मार्क बांटने का और चोरी पकड़े जाने के बाद ग्रेस नंबर पर गलती मानने का आरोप भी इस एजेंसी पर है. इन्हीं आरोपों की वजह से आपको पहले देश की तीन मां के बयान याद कराते हैं. ये वो मां हैं, जिनके बच्चों ने जी-जान लगाकर NEET का इम्तिहान दिया लेकिन इन मां की तरह हजारों मां को लगता है कि धांधली हुई है. धांधली ग्रेस मार्क देने में हुई है.
रिजल्ट आया, नंबर अच्छे फिर भी मायूसी
NTA को लग रहा है कि सिर्फ बच्चे एग्जाम दे रहे हैं, नहीं. इस एग्जाम में उनके मम्मी-पापा, भाई-बहन सारे एक साथ लगे होते हैं. इंतजार होता है कि रिजल्ट आएगा और हमारा एडमिशन होगा. जब रिजल्ट अच्छा आए और फिर भी अच्छा एडमिशन नहीं मिले तो हम कहां जाएं, किससे मांगें. एक नीट अभ्यर्थी की मां उषा ने कहा कि, हम तो यही बोल रहे थे हम डॉक्टर की मम्मी बनेंगे. ये कहते हुए उनकी आवाज में उनके दुख को महसूस किया जा सकता है.
अभी तक ग्रेस मार्क के फैसले को सही क्यों बता रहा था NTA?
इन्हीं मांओं के बच्चे देश में जंतर मंतर से लेकर अलग अलग शहरों तक में प्रदर्शन करके मांग करते रहे कि नीट के नतीजे में धांधली के आरोप का सच सामने आए. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. जहां अब तक 8 जून से लगातार ग्रेस नंबर देने का फैसला सही बताते आए NTA ने अचानक यू टर्न लेकर अपनी पहली गलती मान ली. जो NTA कहता था कि सिर्फ 6 सेंटर पर पेपर गलत बंटा, पेपर गलत बंटने से बच्चे समय से पूरा नहीं कर पाए. सुप्रीम कोर्ट के दिए फॉर्मूले के आधार पर केवल 1563 बच्चों को ग्रेस नंबर बांटा.
अब ग्रेस मार्क के फैसले पर पलट गई परीक्षा एजेंसी
वही NTA अब कहने लगा कि लगता है ग्रेस नंबर बांटने से शंका बढ़ी है. इसलिए ग्रेस नंबर पाने वाले 1563 बच्चों के पास दो विकल्प है. या तो ग्रेस नंबर पाने वाले 1563 बच्चे 23 जून को दोबारा इम्तिहान दें, या फिर बिना ग्रेस नंबर के इन 1563 बच्चों का स्कोर कार्ड जारी होगा. अब सवाल है कि क्या बच्चों को इतने भर से न्याय मिल गया? क्या NTA पर लगे आरोपों के दाग 1563 बच्चों के दोबारा इम्तिहान से धुल जाएंगे ? क्या नीट परीक्षा की पवित्रता पर उठा प्रश्न खत्म हो जाएगा?
क्या बोले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, कोर्ट ने उस कमेटी के सुझाव को देखकर 1563 बहच्चों को री एग्जाम का अवसर दिया जाए. 23 जून को 1563 छात्रों को दोबारा नीट एग्जाम का ऑप्शन दिया जाए. वर्ना ओरिजिनल परीक्षा का जो नंबर है, उसे भी ले सकते हैं, या एक और चांस लेना है तो 23 जून को परीक्षा दे सकते हैं.
वहीं, एक याचिका कर्ता के वकील ने कहा कि, यह अभी छोटी जीत है. NTA ने माना कि ग्रेस मार्क गलत तरीके से दिया. कमेटी बनाई गई है और फिर से एग्जाम कराने को बोला है.
NTA ने खुद मानी गड़बड़
इस पूरे मामले में फिजिक्सवाला के सीईओ और याचिकाकर्ता अलख पांडे ने कहा कि, सवाल है कि 24 घंटे पहले क्या कह रहे थे और कोर्ट में आते ही उन्होंने अग्री कर लिया. खुद तो बताया नहीं, हमने पकड़ा फिर बताया कि ग्रेस नंबर. आज खुद आकर कोर्ट में कहा गड़बड़ है. एनटीए मनममानी कर रहा है. हमारी सबकी हार हुई है. पहली हियरिंग में कहता है कि गड़बड़ किया है.
क्या सिर्फ 1563 छात्रों को दिया गया ग्रेस नंबर?
क्या वाकई सिर्फ 1563 बच्चों को ही ग्रेस नंबर दिया गया था ? या फिर इनकी संख्या ज्यादा है और NTA ने बड़े दाग को छुपाने के लिए छोटा दाग आगे कर दिया है? सवाल है कि 1563 बच्चों का दोबारा इम्तिहान होता है तो ज्यादा से ज्यादा 500 बच्चों की रैकिंग पर असर आएगा.
जबकि इस बार न जाने ऐसा क्या NTA ने कर दिया कि एकदम प्रतिभा का विस्फोट नतीजों में नजर आया. बच्चे आरोप लगाते हैं कि NTA ने ऐसा खेल किया है कि इस बार अच्छे नंबर लाकर भी रैंक अच्छी नहीं आई. इसीलिए कुछ नंबर हमने चुने और उन नंबर पर ऑल इंडिया रैंक कैसे बढ़ती चली गई इसका हिसाब साल दर साल निकाला.
720 नंबर के पेपर में पूरे 720 नंबर लाकर पहली रैंक लाने का करिश्मा 2021 में हुआ, 2023 में हुआ, इस बार भी यही हुआ और इस बार तो यहां 67 बच्चे तक 720 नंबर ले आए. वहीं अब 715 नंबर पाने वाले बच्चों का प्रदर्शन साल दर साल देखिए.
2021 में 715 नंबर लाने पर 5वीं रैंक आई.
2022 में 715 नंबर लाने वाले की पहली रैंक आई.
2023 में 715 रैंक लाने पर चौथी रैंक आई
लेकिन इस बार 715 नंबर लाने पर भी रैंक 225 पहुंच गई. दो साल में ऐसा क्या हुआ कि जहां 715 नंबर लाकर बच्चा टॉप कर रहा था, वहां अब 225 रैंक आने लगी.
वहीं 710 अंकों पर इस बार रैंक 407 पहुंच गई.
साल 2023 में इस स्कोर पर रैंक 27 थी,
जबकि इससे पहले 2022 इसी स्कोर पर छठी रैंक आई थी.
720 नंबर के पेपर में इस बार 705 नंबर लाने वाले की रैंक 542 पहुंच गई, जबकि इससे पहले तीन साल में इतने नंबर पर टॉप 100 में वही रैंक आती थी. 700 नंबर लाने पर डेढ़ हजार के पार इस पार हो गई, जबकि इससे पहले तक देखिए रैंक 50 से 300 के भीतर रही है.
600 से 650 से ज्यादा नंबर लाने वाले छात्र अधिक परेशान
सबसे ज्यादा चिंता में इस बार 600 से 650 तक नंबर लाने वाले बच्चे हैं. ये कहते हैं कि ये कोई खराब स्कोर नहीं, लेकिन देखिए इस बार इतने नंबर लाने वालों की रैंक में तीन साल में दस गुना तक फर्क आ चुका है. इसीलिए बच्चों का आरोप है कि धांधली सिर्फ 1563 लोगों को ग्रेस नंबर देने में ही नहीं हुई है. खेल और बड़ा है. सुप्रीम कोर्ट या तो न्याय दे या फिर सीबीआई जांच कराई जाए.
600 नंबर पर कितनी गई रैंक?
600 नंबर लाने वाले की रैंक 80,468 चली गई 650 नंबर पाने वाले की रैंक 21,724 पहुंच गई. 700 नंबर लाने वाले की रैंक 1770 पहुंच गई. NTA कहता है कि ये प्रतिभा की प्रतिस्पर्धा है. बच्चे आरोप लगाते हैं कि धांधली की बाधा है. पहला आरोप ये कि या तो 1563 से ज्यादा लोगों को ग्रेस नंबर दिया गया है. दूसरा आरोप पेपर लीक से बहुत से लोगों को पेपर बंटा है. तीसरा आरोप NTA के भीतर बड़ा रैंकिंग घोटाला हुआ है.
लखनऊ हो या वाराणसी हो, पटना हो या रांची, दिल्ली हो या कोई भी शहर ऐसे बच्चे सबसे ज्यादा अपनी बात रख रहे हैं कि आखिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि जितने नंबर पर बढ़िया सरकारी कॉलेज मिल जाता था. इस बार उतने नंबर पर ही कई हजार गुना ज्यादा पीछे रैंक चली गई.
अब तक रैंकिंग में इतने ज्यादा उछाल पर NTA का तर्क ये रहा है कि 1563 के अलावा कहीं किसी और को टाइम लॉस पर ग्रेस नंबर नहीं दिया. इस बार करीब तीन लाख ज्यादा बच्चे परीक्षा में बैठे. पिछली बार के मुकाबले 25% तक सिलेबस को घटाया. कठिनाई के स्तर को सरल किया. नीट(यूजी) देने में कई बार प्रयास की पूरी छूट रहती है इस वजह से हाई स्कोर रहा है.
लेकिन बच्चे और कोचिंग इंस्टिट्यूट से जुड़े शिक्षक इस दलील पर भरोसा न करके ये सवाल उठाते हैं कि जो NTA ग्रेस मार्क पर सुप्रीम कोर्च में मामला आने पर अपनी गलती माने उस पर विश्वास कैसे करेंगे.इस पर अलख पांडेय, (याचिकाकर्ता और फिजिक्सवाला के सीईओ) कहते हैं कि एनटीए मान रहा है कि ग्रेस गलत है तो और कितनी कमियां होंगी. पास्ट में भी बहुत कुछ हुआ होगा, और उनके डेटाबेस में ऑडिट की जरूरत है. सात दिन से नहीं मान रहे थे और आज मान ली है.
क्या ग्रेस नंबर देने में NTA ने की गलती?
घूम फिरकर सवाल इस बात पर आ जाता है कि क्या ग्रेस नंबर देने में एनटीए ने गलती की है? सवाल ये उठता है कि पहले कभी NTA ने ग्रेस नंबर नहीं दिया तो इस बार ही अचानक क्यों ? छह सेंटर्स पर पेपर गलत बंटा था तो सीसीटीवी से निगरानी रखने वाले NTA के अधिकारी क्या करते रहे ? पेपर गलत बंटने के समय कम ही बच्चों को मिला होगा तो तुरंत वहीं थोड़ा बढ़ाकर समय क्यों नहीं दिया? बच्चों ने अपील की, तब जाकर ग्रेस मार्क देने वाला नियम अचानक क्यों खोज लिया? क्या ऑफलाइन इम्तिहान में भी NTA को अंदाजा लगाना आता है कि कितने समय में कौन सा बच्चा कितने सवाल कर लेता?
सुबोध कुमार सिंह, (डीजी, NTA) का कहना है कि, 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क दिया गया है. कई बच्चों के निगेटिव मार्क ही रहे. कुछ बच्चे टॉपर साइड आ गए. 790 बच्चे क्वालीफाइ किए हैं. 55.54 फीसदी क्वालिफाइ किए हैं. कहने का मतलब है कि ओवरऑल क्वालिफाइ क्राइटेरियामें फर्क नहीं पड़ा है.
NTA पर सवाल क्यों?
कहने को ये कहा जा सकता है कि NTA ने अब मौका दे तो दिया है फिर से ग्रेस नंबर हटाकर परीक्षा कराने का फिर सवाल क्यों ? इस पर एक नीट अभ्यर्थी कहते हैं कि, एनटीए यही चाहता था कि 1563 पर ही मामला जाए. बिहार-गुजरात में जो लीक हुआ है. इस पर सीबीआई जांच क्यों नहीं कराई जाती. उनका कहना है कि जान-बूझकर ऐसा किया गया है ताकि स्कैम न पकड़ा जाए. छह जुलाई को काउंसलिंग शुरू हो जाएगी. पीएम परीक्षा पर चर्चा करते हैं, नतीजों पर चर्चा कब होगी.
NTA ने दिया ये तर्क
NTA की तरफ से एक तर्क ये आता है कि बच्चे ज्यादा बैठे, कंपटीशन बढ़ा तो नंबर ज्यादा आए. इसीलिए रैंकिंग में उछाल आया. इसी तर्क के आधार पर हमने पिछले कुछ वर्षों में NEET परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या का हिसाब लगाया और फिर उसकी तुलना पास होने वाले छात्रों के औसत नंबर से की.
एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की ट्रांसफर याचिका
नीट यूजी 2024 परीक्षा पर उठे विवाद के मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दाखिल की है. एनटीए ने अलग-अलग उच्च न्यायालयों में नीट-यूजी परीक्षा के खिलाफ लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की. एनटीए ने अपनी याचिका में कहा कि देश के 7 हाईकोर्ट में नीट-यूजी परीक्षा के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गई हैं. ऐसे में अगर अलग-अलग सुनवाई होती है तो आदेशों की वजह से छात्रों के बीच भ्रम बढ़ेगा. इसलिए हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए. मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.