राजधानी दिल्ली में इस बार ठंड का ज्यादा एहसास नहीं हुआ. इस साल जनवरी का तापमान सामान्य से ज्यादा गर्म था और फरवरी में तो बिल्कुल सर्दी महसूस ही नहीं हुई. दशकों के क्लाइमेट डेटा से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में तापमान लगातार बढ़ रहा है.
जनवरी 2025 ने 1,20,000 वर्षों में सबसे उच्चतम वार्षिक न्यूनतम वैश्विक सतह तापमान दर्ज किया. भारत में इस बार ज्यादा गर्मी महसूस हुई, जहां जनवरी 2025 का औसत तापमान 19.02°C रहा, जो 1991-2020 के औसत से लगभग 0.1°C अधिक था. दिल्ली का जनवरी 2025 का तापमान औसतन 13.62°C था, जो 1991-2020 के औसत से 0.35°C अधिक था. अन्य प्रमुख भारतीय शहरों - चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में भी ज्यादा गप्मी देखी गई.
IMD ने की ये भविष्यवाणी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की है कि मार्च 2025 इस साल का सबसे गर्म महीना हो सकता है. दशकों के तापमान रुझानों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय शहरों में लगातार गर्मी बढ़ रही है, हालांकि हर शहर में इसका प्रभाव अलग-अलग है. फरवरी 2025 पिछले 125 सालों में भारत का सबसे गर्म महीना रहा.
जानें क्यों है ये चिंताजनक
एक नई रिसर्च के अनुसार, तापमाम के 2°C तक बढ़ने पर छह प्रतिशत भूमि इतनी गर्म हो जाएगी कि वह रहने योग्य नहीं रहेगी, और बुजुर्गों के लिए तो यह और भी बड़ा खतरा बनेगा.
40 सालों के डेटा में क्या सामने आया
पिछले 40 वर्षों के तापमान परिवर्तन डेटा के विश्लेषण में IMD और ERA 5 जैसे विभिन्न स्रोतों से भारत के चार बड़े शहरों का डेटा शामिल किया. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2023 में तापमान में 0.1°C की गिरावट आई थी, जबकि 2024 में 0.2°C का इज़ाफा हुआ. दूसरी ओर, मुंबई (+1.1°C और +1.1°C), चेन्नई (+0.6°C और +0.9°C) और कोलकाता (+0.9°C और +0.8°C) में 2023 और 2024 में तापमान बढ़ा. इन परिवर्तनों की तुलना 30 साल के औसत (1980-2010) से की गई थी.
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पिछले सात दशकों में भारत के प्रमुख महानगरों में तापमान में लगातार वृद्धि देखी गई है. चेन्नई और मुंबई में 1951 से 2020 के बीच तापमान में लगभग 1°C की तेज़ वृद्धि हुई. कोलकाता का तापमान 0.42°C बढ़ा.
विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते तापमान कई समस्याओं का कारण बन रहे हैं, जिनमें शहरी हीट स्ट्रेस, ऊर्जा की कमी, जल संकट और जैव विविधता का नुकसान शामिल हैं.